नगालैंड को राज्य गठन के छह दशक बाद भी अपनी पहली महिला विधायक का इंतजार है। नेफा से 1963 में अलग होकर नगालैंड राज्य बना था। इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा, एनडीपीपी और कांग्रेस ने कुल चार महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
एक समय था, जब किसी महिला को टिकट नहीं दिया जाता था। इसका कारण यह है कि नगा परंपरा के मुताबिक सामाजिक फैसले लेने का अधिकार केवल पुरुषों को है। हालांकि, राज्य से दो महिलाएं सांसद बन चुकी हैं। पहली बार रानो एम शाजा 1977 में सांसद बनी थीं। उसके बाद 2022 में भाजपा की एस फांनोन कोन्याक राज्यसभा सदस्य बनीं। नगालैंड की 60 सदस्यीय विस की 59 सीटों पर 27 फरवरी को चुनाव कराए जाएंगे। एक सीट पर भाजपा के उम्मीदवार कझेतो किनिमी निर्विरोध चुने गए हैं।
भाजपा और एनडीपीपी गठबंधन हावी
भाजपा के नगालैंड प्रभारी नलिन कोहली ने कहा कि भाजपा और एनडीपीपी का गठबंधन काफी मजबूत है। उन्होंने कहा कि भाजपा इस बार पिछली बार के मुकाबले अधिक सीटें जीतेगी। उन्होंने दावा किया नगालैंड में अगली सरकार भाजपा-गठबंधन की बनेगी।
मेडिकल कॉलेज बना मुद्दा
इस बार चुनाव में राज्य में एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं होने का मुद्दा छाया हुआ है। मोन और कोहिमा में मेडिकल कॉलेज का अभी तक निर्माण पूरा नहीं हुआ है। इस कारण राज्य के बच्चों को मेडिकल की पढ़ाई और रोगियों को इलाज के लिए देश के अन्य हिस्सों में जाना पड़ता है।
लंबे समय से अटका हुआ है नगा शांति वार्ता का समाधान…
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि नगा शांति समझौते के समाधान का लंबे समय से इंतजार है। थरूर ने कोहिमा में कांग्रेस भवन में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे। थरूर ने कहा, 2019 में नगालैंड के पूर्व राज्यपाल व नगा शांति वार्ता के लिए केंद्र के वार्ताकार आरएन रवि ने घोषणा की थी कि इस मामले को केवल तीन महीने में हल कर लिया जाएगा, लेकिन तब से चार साल बीत चुके हैं। उन्होंने भाजपा पर लोगों को धोखा देने का आरोप लगाया।