मुंबई: चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली ‘शिवसेना’ के रूप में मान्यता देने के बाद अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि बजट सत्र से पहले शिंदे-फडणवीस कैबिनेट का विस्तार किया जा सकता है। शिंदे गुट के कई विधायक भी राज्य विधानमंडल में इसके लिए जोर दे रहे हैं। बजट सत्र 27 फरवरी से शुरू हो रहा है। शिंदे गुट के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि यदि अभी कैबिनेट विस्तार किया जाता है तो विधायकों के मन में और अधिक विश्वास पैदा होगा। यह संदेश भी जा सकता है कि सीएम शिंदे सरकार के नियंत्रण में हैं। हालांकि, कैबिनेट विस्तार पर 100 फीसदी मुहर उस समय लगेगी जब भाजपा के साथ पूरी तरह से सहमति बने। वैसे भाजपा फिलहाल कैबिनेट विस्तार को लेकर इतनी उत्सुक दिख नहीं रही है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शिंदे गुट के एक नेता ने कहा कि कैबिनेट विस्तार लंबे समय से लंबित है। 40 विधायक हैं जो हमारे साथ हैं और 10 निर्दलीय विधायक हैं जिन्होंने जुलाई 2022 से हमें समर्थन दिया है। सीएम शिंदे के अलावा केवल 9 को मंत्री पद मिला है। इसलिए, अन्य 32 प्रतीक्षा कर रहे हैं और उनमें से कम से कम 14 मंत्री पद का दावा कर रहे हैं। कोई भी फैसला लेने से पहले राज्य के वरिष्ठ नेताओं और दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं के बीच चर्चा होगी।
फडणवीस और दिल्ली से हरी झंडी मिलने के बाद ही कैबिनेट विस्तार संभव
हालांकि, शिंदे गुट के नेता ने कहा कि कैबिनेट विस्तार पर कोई भी फैसला डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अमित शाह से सलाह लेने के बाद ही लिया जाएगा। कैबिनेट विस्तार की संभावना नहीं है। लेकिन अगर चर्चा होती है और दिल्ली से हरी झंडी मिलती है तो ऐसा हो सकता है।
पूर्व राज्यपाल ने 18 विधायकों को दिलाई थी मंत्री पद की शपथ
शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के 40 से अधिक दिन बाद पिछले साल नौ अगस्त को अपने कैबिनेट मंत्रियों के विभागों की घोषणा की थी। तत्कालीन राज्यपाल बीएस कोश्यारी ने 18 विधायकों (शिंदे खेमे और भाजपा के नौ-नौ) को मंत्री पद की शपथ दिलाई थी। उनमें से सभी 18 कैबिनेट मंत्री थे, और किसी भी MoS या कनिष्ठ मंत्री को शपथ नहीं दिलाई गई थी। सीएम शिंदे खेमे का समर्थन करने वाले 10 निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों में से किसी को भी अगस्त में कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया था।