एस जयशंकर ने 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का किया शुभारंभ, राष्ट्रपति रातू से की मुलाकात

Uncategorized अंतरराष्ट्रीय

नई दिल्ली : तीन दिवसीय यात्रा पर फिजी पहुंचे विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को नाडी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया। फिजी के राष्ट्रपति रातू विल्यम मैवलीली काटोनिवेरे भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे। जयशंकर मंगलवार को नाडी पहुंचे और फिजी के शिक्षा मंत्री असेरी राद्रोड्रो ने उनका स्वागत किया।

इस मौके पर विदेश मंत्री ने कहा, विश्व हिंदी सम्मेलन जैसे आयोजनों में यह स्वाभाविक है कि हमारा ध्यान हिंदी भाषा के विभिन्न पहलुओं, उसके वैश्विक उपयोग और इसके प्रसार पर होना चाहिए। हम फिजी, प्रशांत क्षेत्र और गिरमिटिया देशों में हिंदी की स्थिति जैसे मुद्दों पर चर्चा करें।

जयशंकर ने आगे कहा, 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के उद्घाटन के लिए आप सभी के साथ शामिल होना बहुत खुशी की बात है। मैं इस संबंध में हमारे सहयोगी भागीदार होने के लिए फिजी सरकार को धन्यवाद देता हूं। यह हम में से कई लोगों के लिए फिजी की यात्रा करने और हमारे लंबे समय से चले आ रहे संबंधों को बढ़ावा देने का अवसर भी है। ऐसे में जरूरी है कि दुनिया को सभी संस्कृतियों और समाजों के बारे में पता होना चाहिए।

उन्होंने कहा, वह युग पीछे छूट गया है जब हमने प्रगति और आधुनिकता की तुलना पश्चिमीकरण से की थी। कई ऐसी भाषाएं और परंपराएं जो औपनिवेशिक युग के दौरान दब गई थीं, फिर से वैश्विक मंच पर अपनी आवाज उठा रही हैं।

वहीं, फिजी के राष्ट्रपति रातू ने कहा, यह मंच भारत के साथ फिजी के ऐतिहासिक और विशेष संबंधों की स्थायी ताकत का जश्न मनाने का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है। जब मनोरंजन की बात आती है, तो फिजी के लोग बॉलीवुड फिल्में देखना पसंद करते हैं। विदेश मंत्री जयशंकर ने राष्ट्रपति रातू के साथ 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में एक डाक टिकट जारी किया और 6 पुस्तकों का विमोचन किया।

फिजी की राजधानी सुवा पहुंचने पर जयशंकर ने ट्वीट कर कहा था, “बुला और नमस्ते फिजी। 12वां विश्व हिन्दू सम्मेलन कल से नाडी में शुरू हो रहा है। गर्मजोशी से स्वागत के लिए शिक्षा मंत्री असेरी राड्रोड्रो को धन्यवाद। दुनिया भर के हिंदी प्रेमियों से मिलने के लिए उत्सुक हूं।”

विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा था, “विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन भारत और फिजी की सरकारों द्वारा 15 से 17 फरवरी तक नाडी, फिजी में किया जाएगा। यह विदेश मंत्री एस जयशंकर की फिजी की पहली यात्रा है।”

विश्व हिंदी सम्मेलनों की अवधारणा की परिकल्पना राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा द्वारा 1973 में की गई थी। इसका परिणाम यह हुआ कि पहला विश्व हिंदी सम्मेलन साढ़े चार दशक पहले 10-12 जनवरी, 1975 को नागपुर, भारत में आयोजित किया गया था। आज तक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में 11 विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किए गए हैं। पिछला सम्मेलन 2018 में मॉरीशस में आयोजित किया गया था। 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन फिजी सरकार के सहयोग से भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा 15-17 फरवरी, 2023 तक फिजी में किया जा रहा है।

सम्मेलन का मुख्य विषय ‘हिंदी – पारंपरिक ज्ञान से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ है। सम्मेलन स्थल पर हिंदी भाषा के विकास से संबंधित कई प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाएगा। सम्मेलन के दौरान भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्ली द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम और कवि सम्मेलन आयोजित करने का भी प्रस्ताव है। पूर्व परंपरा के अनुसार, सम्मेलन के दौरान भारत और अन्य देशों के हिंदी विद्वानों को हिंदी के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान के लिए ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया जाएगा।

तीन दिवसीय प्रवास के दौरान होंगी कई बैठकें
विदेश मंत्री जयशंकर के तीन दिवसीय फिजी प्रवास के दौरान दोनों देशों के बीच कई द्विपक्षीय बैठकों की उम्मीद की जा रही है। बता दें, बीते सप्ताह ही फिजी के उप प्रधानमंत्री बिमान प्रसाद ने भारत का दौरा किया था।

विदेश मंत्री ने फिजी के राष्ट्रपति से की मुलाकात
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने फिजी के राष्ट्रपति रातू विल्यम मैवलीली कटोनिवेरे से नाडी में मुलाकात की।

हमारे पूर्वजों का सम्मान करती है दुनिया: वी. मुरलीधरन
इस मौके पर विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा, इस 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का विषय ‘हिंदी पारंपरिक ज्ञान से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ है। खगोल विज्ञान से इंजीनियरिंग तक और चिकित्सा से गणित तक, दुनिया हमारे पूर्वजों के योगदान का सम्मान करती है। मुरलीधरन ने आगे कहा, मैं फिजी सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने इस सम्मेलन को यहां आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की। मुझे भरोसा है कि यह भारत और फिजी के बीच लंबे समय से चले आ रहे ऐतिहासिक और गहरे संबंधों को मजबूत करने में मदद करेगा।

गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी ने कहा, इस सम्मेलन का उद्देश्य हिंदी भाषा को बढ़ावा देना और भारत की संस्कृति के बारे में दुनिया के ज्ञान को बढ़ाना है। आज जब भी कोई देश या समुदाय खतरे में होता है, भारत सरकार उनका समर्थन करती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *