नई दिल्ली :जजों की नियुक्ति के मसले पर बीते कुछ समय से केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के बीच टकराव की स्थिति बनी है। अब सरकार की ओर से इस मसले पर एक बार फिर न्यायपालिका को संदेश दिया गया है। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में कहा है कि सरकार उच्च अदालतों में जजों की नियुक्ति में सामाजिक विविधता के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि हमने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से कहा है कि वे जजों के नामों की सिफारिश करते समय अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी, अल्पसंख्यक और महिला कैंडिडेट्स को भी प्राथमिकता दें। इससे उच्च अदालतों में सामाजिक विविधता बनी रहेगी।
भाजपा के ही सांसद सुशील कुमार मोदी के एक सवाल के लिखित जवाब में किरेन रिजिजू ने यह जानकारी दी। सुशील कुमार मोदी ने पूछा था कि बीते 5 सालों में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स में कितने जज एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के नियुक्त हुए हैं। इस पर रिजिजू ने जवाब दिया कि बीते 5 सालों में 25 उच्च न्यायालयों में 554 जजों की नियुक्ति हुई है। इनमें से 430 जज जनरल कैटिगरी के हैं। 19 जज अनुसूचित जाति हैं। 6 जज एसटी वर्ग के हैं और 58 जज ओबीसी समुदायों के हैं। इसके अलावा अल्पसंख्यक वर्गों के भी 27 जजों को नियुक्ति मिली है।
इनमें से कुल 84 जज महिला हैं। कॉलेजियम की सिफारिशों और जजों की नियुक्ति को लेकर कानून मंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में कुल 34 जजों के पद हैं। इनमें से 27 फिलहाल हैं और 7 पद रिक्त हैं। उन्होंने कहा कि इन 7 जजों के पदों पर भी नियुक्ति के लिए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से सिफारिश की गई है। हालांकि हाई कोर्ट्स में अब भी बड़े पैमाने पर रिक्तियां हैं। देश के 25 उच्च न्यायालयों में कुल 1108 जजों के पद हैं। इनमें से 333 अब भी खाली हैं। मंत्री ने कहा कि हाई कोर्ट कॉलेजियम्स की ओर से कुल 142 प्रस्ताव भेजे गए हैं, जिन पर अभी चर्चा हो रही है।