ग्वालियर : पूरा देश 26 जनवरी को 74वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस मौके पर हर भारतीय अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है। जब हमारे आन बान और शान तिरंगे की बात होती है तो सबसे पहले ग्वालियर अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है। आजादी के बाद ग्वालियर आजाद हिंदुस्तान की शान कहे जाने वाले तिरंगे का निर्माण कर पूरे देश में अपना नाम रोशन कर रहा है। यह जानकर आपको गर्व होगा देश भर के शासकीय और अशासकीय कार्यालयों के साथ कई मंत्रालयों पर लहराने वाला तिरंगा झंडा सिर्फ ग्वालियर शहर में तैयार होता है। ग्वालियर में स्थित देश का दूसरा और उत्तर भारत का इकलौता मध्य भारत खादी संघ राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करता है।
जब भी देश के किसी कोने में तिरंगा फहराया जाता है, तब ग्वालियर का जिक्र सभी की जुबान पर होता है। क्योंकि ग्वालियर में स्थित मध्य भारत खादी संघ उत्तर भारत में इकलौती ऐसी संस्था है, जो राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करती है। यहां जमीनी प्रक्रिया से लेकर तिरंगे में डोरी लगाने तक का काम किया जाता है। आईएसआई तिरंगे देश में कर्नाटक के हुगली और ग्वालियर के केंद्र में ही बनाए जाते हैं। यहां बनने वाले तिरंगे मध्यप्रदेश के अलावा बिहार, राजस्थान उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात सहित 16 राज्यों में पहुंचाए जाते हैं, मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात है कि देश के अलग-अलग शहरों में स्थित आर्मी की सभी इमारतों पर ग्वालियर में बने तिरंगे ही शान बढ़ा रहे हैं।
मध्य भारत खादी संघ में राष्ट्रीय ध्वज निर्माण इकाई की प्रमुख नीलू का कहना है कि वर्तमान में यहां अलग अलग कैटेगरी में तिरंगे तैयार किए जा रहे हैं। इस संस्था के द्वारा हमारे तिरंगा बनाने के लिए तय मानकों का विशेष ख्याल रखा जाता है, जिसमें कपड़े की क्वालिटी, चक्र का साइज, रंग और जैसे मानक शामिल हैं। इसके साथ ही लैब में इन सभी चीजों का टेस्ट किया जाता है। मानकों को ध्यान में रखते हुए हमारा राष्ट्रीय ध्वज तैयार होता है। मध्य भारत खादी संघ संस्था द्वारा किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को पांच से छह दिन का समय लगता है। लैब में ट्रैकिंग के बाद जब हमारा राष्ट्रीय ध्वज पूरी तरह तैयार हो जाता है, उसके बाद ही उसे लैब से बाहर निकाला जाता है। ग्वालियर में स्थित मध्य भारत खादी संघ आईएसआई प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करती है और यह पूरे देश भर में दूसरी संस्था है।
मध्य भारत खादी संघ के मंत्री रमाकांत शर्मा का कहना है कि मध्य भारत खाद्य संघ की स्थापना 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी। 1956 में मध्य भारत खादी संग को आयोग का दर्जा मिला और उसके बाद 2016 से यह संस्था आईएसआई प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कर रही है। यह उत्तर भारत की पहली ऐसी संस्था है, जो तिरंगे का निर्माण करती है। मध्य भारत खादी संघ के द्वारा तैयार किए गए अलग-अलग कैटेगरी के तरंगे देश के 16 राज्यों में जाते हैं और सभी शासकीय और अशासकीय इमारतों पर शान से फहराए जाते हैं।
मध्य भारत खादी संघ के पदाधिकारियों ने बताया है कि इस बार 26 जनवरी को देश के अलग-अलग राज्यों से इतने ऑर्डर आ चुके हैं कि वह तिरंगों की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। अभी तक उन्होंने 22 हजार तिरंगों का निर्माण किया है और इस 26 जनवरी को उनका उत्पादन लगभग एक करोड़ के आसपास पहुंच गया है। उनका कहना है कि ग्वालियर में स्थित मध्य भारत खादी संघ के द्वारा तैयार किए गए तिरंगे लोगों को पसंद आ रहे हैं, उनकी हर साल 26 जनवरी, 15 अगस्त और संविधान दिवस पर मांग बढ़ती जा रही है। हालात यह हो चुके हैं कि संस्था अब तिरंगों की पूर्ति नहीं कर पा रही है।