चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को कानूनी पेशे में महिलाओं के योगदान को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा, कानूनी पेशा सामंतवादी हो गया है और यहां महिलाओं का स्वागत नहीं किया जाता है। उन्होंने यह बात हार्वर्ड लॉ स्कूल के ग्लोबल लीडरशिप अवॉर्ड सेरेमनी के दौरान कही। दरअसल, इस अवॉर्ड से सीजेआई चंद्रचूड़ को सम्मानित किया गया है। इस दौरान सीजेआई ने लॉ स्कूल के निदेशक डेविड बी विल्किंस से बातचीत के दौरान कहा, दुर्भाग्य से, कानूनी पेशा सामंतवादी रहा है और यहां महिलाओं और हाशिए के समुदायों का स्वागत नहीं किया जाता है। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि उनसे अक्सर पूछा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों की संख्या कम क्यों है? इसका जवाब उस पेशे में है जो तीन दशक पहले था। यानी सुप्रीम कोर्ट में आने वाले जज तीन दशक पहले के पूल से हैं। उन्होंने कानून के क्षेत्र में बदलाव पर कहा, भविष्य में अगर बदलाव लाना है तो कानूनी शिक्षा देने वाले संस्थानों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। कानूनी शिक्षा तक पहुंच का लोकतंत्रीकरण करना होगा।
बता दें, सीजेआई चंद्रचूड़ हार्वर्ड लॉ स्कूल के पूर्व छात्र हैं, जहाँ से उन्होंने न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है।