नई दिल्ली: 3250 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में जेल में बंद ICICI बैंक की पूर्व CEO चंदा कोचर और उनके व्यवसायी-पति दीपक कोचर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। अदालत ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जमानत का आदेश दिया है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि, ‘कोचर दंपत्ति की गिरफ्तारी सीआरपीसी (CRPC) की धारा 41ए के आदेश के अनुरूप नहीं है।’
पिछले साल 24 दिसंबर को सीबीआई ने कोचर दंपत्ति को साल 2012 में वीडियोकॉन समूह में हुए धोखाधड़ी के मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था। सीबीआई ने चंदा कोचर और दीपक कोचर पर आरोप लगाते हुए कहा था कि दोनों सवाल के सही तरह जवाब नहीं दे रहे साथ ही जांच में सहयोग नहीं कर रहे। जिसके बाद दोनों को हिरासत में ले लिया गया था।
कोर्ट में कोचर दंपति की तरफ से अधिवक्ता रोहन दक्षिणी ने दलील दी। उन्होंने कहा कि अदालत ने उन्हें इस आधार पर जमानत दी है कि गिरफ्तारी अवैध थी। धारा 41ए के तहत जारी नोटिस के अनुपालन में सीबीआई के सामने चंदा और दीपक पेश हुए थे। इसके तहत, अगर कोई शख्स पेश होता है तो उसे तब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता जब तक ये नहीं पाया जाए कि वो सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जिस सीआरपीसी की धारा 41ए की बात हो रही है, वो है क्या? बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में क्या कहा? आइए समझते हैं…
पहले पूरा मामला जान लीजिए
साल 2012 में ICICI बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ का लोन दिया था। तब बैंक की CEO चंदा कोचर थीं। लोन दिए जाने के बाद ये नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) हो गया और बाद में इसे बैंक फ्रॉड घोषित किया गया। साल 2020 सितंबर महीने में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि लोन के बदले वीडियोकॉन ग्रुप ने चंदा के पति दीपक की कंपनी को लाभ पहुंचाया। जब इस मामले का खुलासा हुआ तो साल 2018 में चंदा को बैंक से इस्तीफा देना पड़ा था। 24 दिसंबर को सीबीआई ने चंदा कोचर को पूछताछ के लिए बुलाया था और इसके बाद गिरफ्तार भी कर लिया था। इस गिरफ्तारी के खिलाफ कोचर दंपत्ति ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
क्या है सीआरपीसी की धारा-41ए?
दरअसल, सीआरपीसी की धारा 41 के तहत उन परिस्थितियों का उल्लेख किया गया है जब पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट ऑर्डर या वारंट के बिना किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है जबकि 41ए के तहत मुख्यतः उन बातों का जिक्र है जिनमें पुलिस अधिकारी के लिए किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के बजाय नोटिस देता है। पुलिस अधिकारी ऐसे सभी मामलों में जिनमें धारा 41 की उपधारा (1) के उपबंधों के अधीन किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी जरूरी नहीं है, आरोपी या संदिग्ध को अपने सामने हाजिर होने का नोटिस भेजेगा। इसमें यह भी बताया गया है कि पुलिस किसके खिलाफ नोटिस भेजेगी
उस व्यक्ति के खिलाफ उचित शिकायत दर्ज कराई गई है।
उसके खिलाफ विश्वसनीय जानकारियां मिली हैं।
उसके गंभीर अपराध करने का उचित संदेह है।
यह धारा पुलिस को यह निर्देश देने के साथ ही आरोपी को भी तीन निर्देश देती है…
1. पुलिस जिसे यह नोटिस भेजे, उस व्यक्ति का कर्तव्य होगा कि वह नोटिस में कही गई बातों का पालन करे।
2. अगर व्यक्ति नोटिस के निर्देशों का पालन करता है और वह पुलिस के सामने हाजिर होता है तब पुलिस उसे संबंधित शिकायत या संदेह के मामले में गिरफ्तार नहीं करेगी। हालांकि, अगर पुलिस को लगे कि उसे गिरफ्तार करना जरूरी है तो वह लिखित में अपनी दलीलें देकर व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है।
3. अगर व्यक्ति नोटिस के निर्देशों का पालन नहीं करता है और पुलिस के सामने हाजिर होने से आनाकानी करता है तो पुलिस कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी करवाकर उसे गिरफ्तार कर सकती है।
तो चंदा कोचर के मामले में कोर्ट ने क्या कहा?
बॉम्बे हाईकोर्ट ने चंदा कोचर की गिरफ्तारी के मामले में सुनवाई करते हुए इसे गलत ठहरा दिया। कोर्ट ने कहा कि जब सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत आरोपी पूछताछ के लिए पेश हो रहा है तो बगैर किसी ठोस कारण के गिरफ्तारी करना गलत है। कोर्ट ने कहा कि, ‘कोचर दंपत्ति की गिरफ्तारी सीआरपीसी (CRPC) की धारा 41ए के आदेश के अनुरूप नहीं है।’