मोदी-पुतिन की मुलाकात पर यूक्रेन युद्ध का साया? 22 सालों में दूसरी बार नहीं मिलेंगे भारत-रूस के नेता

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नई दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल वार्षिक व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन के दौरान नहीं मिलेंगे। नाम न बताने की शर्त पर समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग के एक सूत्र ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत बने हुए हैं, लेकिन इस समय दोस्ती का ढोल पीटना प्रधानमंत्री मोदी के लिए फायदेमंद नहीं हो सकता है। बता दें कि मोदी और पुतिन के व्यक्तिगत तौर पर ना मिलने की ये खबर ऐसे समय में आई है जब रूसी राष्ट्रपति ने यूक्रेन पर परमाणु हमला करने की धमकी दी है।

इस बीच, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने भारत सरकार के एक सूत्र के हवाले से कहा कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की पुतिन की धमकियों से बहुत पहले ही शिखर सम्मेलन न करने का फैसला ले लिया गया था। पुतिन पिछले साल दिसंबर में 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली आए थे। इसके अलावा, दोनों नेता फोन के जरिए यूक्रेन व द्विपक्षीय संबंधों को लेकर फोन पर बातचीत करते रहे हैं। बता दें कि पिछले 22 साल में ये दूसरा मौका होगा जब दोनों देशों के नेता आमने-सामने नहीं मिलेंगे। आमतौर पर दिसंबर में आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन को महामारी के कारण 2020 में सिर्फ एक बार रद्द कर दिया गया था।

साल 2000 से भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति हर साल वार्षिक शिखर सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करते हैं। इसी साल सितंबर में, दोनों नेताओं ने उज्बेकिस्तान में एक क्षेत्रीय सुरक्षा ब्लॉक शिखर सम्मेलन (SCO summit) के मौके पर मुलाकात की थी। उस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने पुतिन से कहा था कि यह ‘युद्ध का युग नहीं’ है। फरवरी में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारत चीन के बाद रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है।

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