तिरुअनंतपुरम: दर्शनीय स्थलों और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर दक्षिण भारत का यह राज्य लव जिहाद को लेकर भी काफी चर्चा में रहा। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि लव जिहाद शब्द केरल से लिया गया है जहां सबसे पहले मतांतरण गतिविधियां सुनियोजित तरीके से शुरू की गईं। यहां हिंदू और ईसाई समुदाय की लड़कियों को बहलाया-फुसलाया गया और फिर मुस्लिम समुदाय के लड़कों से शादी के लिए मजबूर किया गया। आखिर में उन्हें आतंकी संगठन आइएस में झोंक दिया गया।
प्यार के नाम पर हो रहा है जबरन मतांतरण
केरल हाई कोर्ट के न्यायाधीश केटी शंकरन (अब सेवानिवृत्त) ने नौ दिसंबर 2009 को दिए गए अपने एक फैसले में जबरन मतांतरण को लेकर सख्त टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि प्यार के नाम पर यहां जबरन मतांतरण कराया जा रहा है और सरकार को इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए कानून बनाना चाहिए। न्यायाधीश ने यह भी कहा था कि प्यार के नाम पर किसी प्रकार का कपटपूर्ण अथवा जबरन मतातंरण नहीं हो सकता।
शादी करने के लिए किया गया मजबूर
न्यायाधीश ने यह टिप्पणी उस समय शहंशाह और सिराजुद्दीन नाम के दो आरोपितों की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की थी। आरोपित लव जिहाद जैसी गतिविधियों में लगे थे। उन लोगों ने दूसरे समुदाय की लड़कियों को बहला-फुसला कर इस्लाम धर्म कुबूल कराया और फिर उन्हें शादी के लिए मजबूर किया। पुलिस रिपोर्ट के आधार पर भी कोर्ट ने कहा कि कुछ धार्मिक संगठनों की मदद से दूसरे पंथ की लड़कियों का मतांतरण कराया जा रहा है।
विश्व हिंदू परिषद ने जताई थी गंभीर चिंता
मालूम हो कि पापुलर फ्रंट आफ इंडिया और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट जैसे इस्लामिक संगठन इस कार्य में लगे थे। इनकी गतिविधियों और राज्य में जबरन मतांतरण को लेकर यहां के ईसाई संगठनों और विश्व हिंदू परिषद ने गंभीर चिंता जताई थी।