नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को स्वीकार किए जाने के चलते इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने सबसे पहले ई-कोर्ट परियोजना की शुरुआत की। इस परियोजना के तहत वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, डिजिटल कोर्ट और जस्टिस मोबाइल एप 2.0 शुरू की जाएगी।
देश को संविधान देने वाले महानुभावों को श्रद्धांजलि : पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले एक ट्वीट के जरिए संविधान देने वाले देश के महान नेताओं को श्रद्धांजलि दी और राष्ट्र के लिए अपने दृष्टिकोण को पूरा करने की प्रतिबद्धता दोहराई। संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में 2015 से 26 नवंबर के दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इससे पहले, इस दिन को कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था।
अटॉर्नी जनरल बोले- सामाजिक विभाजन को मिटाने की जरूरत
अटार्नी आर वेंकटरमनी ने कार्यकर्म को संबोधित करते हुए कहा कि जाति और अन्य सामाजिक विभाजन की कुछ हानिकारक समस्याओं को मिटाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समानता का दावा जटिल है और नए विभाजन पैदा किए बिना कानून, समाज और अदालतों के बीच समन्वय के लिए आवास बनाया जाना चाहिए।
स्वतंत्रता ने हम पर बड़ी जिम्मेदारियां डाली: रिजिजू
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि डा बीआर अंबेडकर ने कहा था कि इस स्वतंत्रता ने हम पर बड़ी जिम्मेदारियां डाली हैं, जिसे हमे आज भी याद रखना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कई मौकों पर अदालतों में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है ताकि न्यायिक प्रणाली में हमारे देश के आम लोगों का विश्वास बढ़ाया जा सके और उन्हें भी जुड़ा हुआ महसूस कराया जा सके।
इसलिए मनाया जाता है संविधान दिवस
देश के संविधान के निर्माता डा बीआर अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए सामाजिक न्याय मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को 26 नवंबर को देश संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया था। इसका उद्देश्य देश के लोगों को संविधान के बारे में जागरुक करना भी है। संवैधानिक मूल्यों की जानकारी देश के हर नागरिक को हो इसके लिए संविधान दिवस मनाने का फैसला हुआ था।