नई दिल्ली :चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाने और उसमें सुधार की बातों को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनती दिख रही है। जस्टिस केएम जोसेफ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए मंगलवार को कहा था कि आखिर चुनाव आयोग कैसे पीएम के खिलाफ फैसला ले सकता है, जिसके सदस्य सरकार ने ही चुने हों। यही नहीं बुधवार को तो अदालत ने हाल ही में चुनाव आयुक्त बने अरुण गोयल की नियुक्ति की फाइल भी मंगा ली है, जिस पर गुरुवार को सुनवाई होनी है। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आक्रामक रुख अपना रहा है तो वहीं केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को उसकी सीमा याद दिलाई है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में न्यायपालिका की कोई भूमिका नहीं हो सकती। उसे इन मामलों में दखल नहीं देना चाहिए। यही नहीं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के उस सुझाव पर भी ऐतराज जताया है, जिसमें उसने कहा था कि मुख्य न्यायाधीश की सदस्यता वाली कमेटी नियुक्ति का सबसे अच्छा तरीका हो सकती है। इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया में चीफ जस्टिस को शामिल करना न्यायपालिका के गैर-जरूरी दखल जैसा होगा। सरकार ने साफ कहा कि यदि ऐसा होता है तो फिर यह शक्तियों के बंटवारे का उल्लंघन होगा।
सरकार बोली- जजों की एंट्री से नियुक्ति प्रक्रिया सुधरने की बात गलत
सरकार ने साफ कहा कि अदालत का यह कहना कि चीफ जस्टिस यदि नियुक्ति की प्रक्रिया में शामिल होंगे तो चीजें बेहतर होंगी पूरी तरह से गलत है। सरकार ने कहा कि यदि अयोग्य व्यक्ति को नियुक्त किया जाता है तो सुप्रीम कोर्ट उसे बाहर कर सकता है। इसके जवाब में शीर्ष अदालत ने कहा कि आखिर नियुक्ति की योग्यता क्या है, यह तो कभी तय ही नहीं हुआ। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने और सरकार के दखल को कम करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब मांगा है।
सुनवाई के दौरान कैसे अरुण गोयल बने चुनाव आयुक्त, SC का सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी सख्त ऐतराज जाहिर किया है कि आखिर जब चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर अदालत में सुनवाई हो रही है तो फिर अरुण गोयल को नियुक्ति कैसे मिली। अरुण गोयल ने सोमवार को ही चुनाव आयुक्त के तौर पर कामकाज शुरू किया है। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने केंद्र सरकार में सचिव के पद से वीआरएस लिया था। अब अदालत ने उनकी नियुक्ति फाइल मंगाई है। साफ है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का मामला केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के बीच टकराव का मसला बन सकता है।