मैनपुरी: मुलायम सिंह यादव ‘नेताजी’ की कर्मभूमि मैनपुरी से उपचुनाव लड़ रही डिंपल यादव की राह आसान करने के लिए अखिलेश यादव अब मुलायम सिंह यादव की डगर पर चल पड़े हैं। हमेशा से ही मुलायम सिंह यादव को जमीनी नेता माना जाता रहा है। उनका अचानक ही गांव व क्षेत्र में किसी कार्यकर्ता या आमजन के यहां पहुंच जाना लोगों को खूब भाता था। सभाओं में भी लोगों को नाम से बुलाना मुलायम का एक खास अंदाज ही थी। इसी अंदाज ने उन्हें आजीवन मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में अजेय रखा। उनके निधन के बाद उनकी पुत्रवधू और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनावी मैदान में हैं। उनकी राह आसान बनाने के लिए अब अखिलेश यादव भी मुलायम सिंह यादव की उसी डगर पर चल पड़े हैं।
पहली बार नेताजी की तरह ही अखिलेश यादव मैनपुरी में अचानक लोगों के घर पहुंचे। उन्होंने कार्यकर्ताओं और आमजन से भी मुलाकात की। 14 नवंबर को डिंपल के नामांकन से पहले जहां अचानक अखिलेश यादव पूर्व विधायक रामेश्वर दयाल बाल्मीकि, सतीश सिंह राठौर और विद्याराम यादव के घर पहुंच गए थे।
सैफई लौटते समय अखिलेश करहल में राहुल जैन और नेताजी के करीबी पूर्व एमएलसी सुभाष यादव के आवास पर भी गए। दोनों जगह उन्होंने कुल दो घंटे समय बिताया और लोगों से मुलाकात की।
इसके बाद 15 नवंबर को अखिलेश यादव बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के कटरा समान पहुंच गए थे। यहां उन्होंने एक विद्यालय में लोगों से मुलाकात की थी। ऐसे में कहीं न कहीं अखिलेश भी अब धरती पुत्र की तरह ही जमीन से जुड़ने की कोशिश में हैं। ये जुड़ाव उन्हें कहां ले जाएगा ये तो वक्त ही तय करेगा।
जब ताजा हो उठीं नेताजी की यादें
मंगलवार को अखिलेश यादव अचानक कटरा समान पहुंचे तो लोगों में पुरानी यादें ताजा हो उठीं। कटरा समान निवासी मातादीन यादव बताते हैं एक बार 1990 के दशक में एक बार अचानक नेताजी अपनी कार से समान चौराहे पर आकर रुके। कार से उतरकर उन्होंने चौराहे पर मौजूद एक-दो लोगों से नाम से बुलाया तो लोगों को भरोसा नहीं हुआ। बाद में जानकारी होने पर नेताजी के आसपास भीड़ जुट गई। काफी देर तक वे लोगों से मिले और फिर सैफई के लिए निकल गए।
खुद अपने लिए भी अखिलेश ने नहीं किया था जनसंपर्क
फरवरी 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में करहल से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद चुनाव लड़ा था। ये पहली बार था जब अखिलेश विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे। इसके बाद भी उन्होंने केवल करहल क्षेत्र में दो जनसभाएं ही की थीं। उनके लिए पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव और तेजप्रताप यादव ने घर-घर जाकर वोट मांगे थे, लेकिन खुद अखिलेश यादव ने इस चुनाव में भी जनसंपर्क नहीं किया था।