कोच्चि:केरल हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत मांगी गई किसी भी जानकारी को देने के लिए उत्तरदायी नहीं है। सीबीआई उन खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों में से है, जिसे पारदर्शिता कानून के दायरे से छूट दी गई है।
चीफ जस्टिस एस मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी चाली की पीठ ने 31 अक्तूबर को दिए फैसले में कहा, 2011 में सरकार से जारी अधिसूचना के अनुसार, सीबीआई, एनआईए और राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड आरटीआई एक्ट की दूसरी अनुसूची में शामिल हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि एक्ट, 2005 की धारा 24 पर विचार करते हुए एक बार सीबीआई को दूसरी अनुसूची में शामिल कर लिया गया है, इसलिए उक्त संगठन कोई सूचना देने के लिए उत्तरदायी नहीं है। मामला आरटीआई कानून 2005 के तहत एक आवेदन को खारिज करने और अपीलीय अधिकारियों के इसकी पुष्टि से संबंधित है।
उप निदेशक, सीबीआई, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (तीसरा प्रतिवादी) की ओर से दायर एक मामले के आधार पर अपीलकर्ता के सेवानिवृत्ति लाभों को रोका गया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि एनआरआई मजदूरों के कुछ विविध सामानों के बंडल को क्लियर करते समय मौद्रिक लाभ के लिए उचित मूल्यांकन नहीं किया गया था। अपीलकर्ता ने आरोप लगाया कि तीसरे प्रतिवादी के तहत काम करने वाले अधिकारियों ने तीन यात्रियों के सीआरपीसी की धारा 161 के तहत बयानों में हेरफेर किया और निदेशक, सीबीआई के समक्ष अपीलकर्ता की ओर से दायर शिकायत पर जांच अधिकारी के खिलाफ जांच कर जांच की गई और एक रिपोर्ट पेश की गई। अनुरोध के बाद भी जांच रिपोर्ट की प्रति नहीं दी गई।
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झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में नयी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के मद्देनजर रांची शहर में बृहस्पतिवार को स्कूल बंद रहेंगे। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी…