इस वर्ष का अंतिम चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को लगने जा रहा है। इससे पहले 25 अक्टूबर को वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण लगा था। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, सूर्य-चंद्र के किसी भी ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है।
वही बात यदि चंद्र ग्रहण की करें तो सभी जीव-जंतुओं पर उसका सीधा प्रभाव होता है। यही कारण है कि चंद्र ग्रहण के चलते कई कार्य करने की मनाही की गई है।
वही धार्मिक विद्वानों के अनुसार, चंद्र ग्रहण से पहले सूतक काल आरम्भ हो जाता है। इस सूतक काल का लोगों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को कपड़ों की सिलाई तथा कटाई से परहेज करना चाहिए। साथ ही उन्हें सब्जी भी नहीं काटनी चाहिए। साथ ही चंद्र ग्रहण से पहले जब सूतक काल लगा हो तो लोगों को सोने की गलती नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से उन्हें ग्रहण का दुष्प्रभाव झेलना पड़ता है तथा उनके परिवार की आर्थिक हालत बिगड़ जाती है। इस काल में ग्रहण का कुप्रभाव कम करने के लिए मंत्रों का जाप करना चाहिए।
वही जब सूतक काल लगा हो तो लोगों को अन्न के सेवन से परहेज करना चाहिए। उन्हें न तो भोजन पकाना चाहिए तथा न ही उसका सेवन करना चाहिए। यह नियम बीमार, बुजुर्ग और बच्चों पर लागू नहीं होता। वही ग्रहण का प्रभाव आपके घर में बने भोजन तथा पीने के पानी पर भी पड़ता है। इसलिए ग्रहण काल आरम्भ होने से पहले अपने भोजन एवं पीने के पानी में तुलसी और कुश का पत्ता डाल देना चाहिए। जब ग्रहण काल ख़त्म हो जाए, तभी भोजन-पानी से इन दोनों के पत्तों को निकालकर उनका सेवन करना चाहिए।