मुंबई । सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राजनीतिक संकट के संबंध में शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी समूहों द्वारा दायर याचिकाओं का एक बैच 29 नवंबर के लिए पोस्ट किया। शीर्ष अदालत ने वकीलों से मामले का संकलन पूरा करने और मुख्य मुद्दों को चार सप्ताह के भीतर विचार के लिए तैयार करने को कहा।
चुनाव आयोग ने 10 अक्टूबर को शिवसेना के उद्धव और शिंदे गुट को चुनाव निशान आवंटित किया था। आयोग ने ठाकरे गुट को ‘मशाल का निशान’, जबकि शिंदे गुट को त्रिशूल और गदा निशान आवंटित किया है। हालांकि, एक दिन बाद चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ‘दो तलवारें और ढाल निशान आवंटित किया। उद्धव ठाकरे के गुट वाले शिवसेना को ‘शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे’, जबकि शिंदे गुट को ‘बालासाहेबची शिवसेना’ नाम दिया गया है।
चुनाव आयोग ने शिवसेना के दोनों गुटों को अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के नाम और उसके चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने से रोक दिया था। दोनों पार्टियां शिवसेना के मूल चुनाव चिह्न धनुष बाण पर अपना दावा कर रहे हैं। आयोग ने यह अंतरिम आदेश शिंदे गुट के अनुरोध पर दिया था। शिंदे गुट ने अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव को लेकर चुनाव चिह्न आवंटित करने की मांग की थी। एकनाथ शिंदे ने इस साल 30 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके नेतृत्व में शिवसेना के एक गुट ने बगावट कर दी थी। तभी से महाराष्ट्र में शिवसेना के दोनों गुटों के बीच इस बात को लेकर खींचतान चल रही है कि असली शिवसेना कौन है या बाला साहब ठाकरे की विरासत का असली उत्तराधिकारी कौन है।
भारत की प्राण शक्ति बहुत से लोगों को दिखाई नहीं देती: आरएसएस प्रमुख
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि भारत के पास अपनी प्राण शक्ति है, लेकिन यह कई लोगों को दिखाई नहीं देती क्योंकि उनकी…