कुशीनगर। भगवान भास्कर की उपासना का महापर्व छठ हिन्दू ही नही अब मुस्लिम महिलाएं भी करने लगी है। छठ मईयां पर बढ़ता विश्वास आम जन मानस को इतना अहलादित कर रहा है कि लोग इस पर्व को करने के बाद अपने आप को सुखी मान रहे है।
आस्था व विश्वास के महापर्व छठ का निर्जला व्रत उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में अधिकांश गांवों में हिन्दू महिलाओं के साथ दर्जनों मुस्लिम महिलाओं ने भी रखा है। ये महिलाएं विश्वास के साथ व्रत रखकर छठ पूजा किया। रविवार को यह अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर विधि-विधान से पर्व को और खास बनाया। इतना ही नहीं, करीब 20 वर्षों से एक 65 वर्षीय मुस्लिम महिला भी छठ का निर्जला व्रत रख रही है।
जानकारी के अनुसार कुशीनगर के दुदही विकास खण्ड के अमवा खास, दशहवा, रामपुर बरहन समेत अन्य ग्राम पंचायतों की मुस्लिम महिलाओं को छठ मईयां पर इतना विश्वास है कि वह भी अब निर्जला व्रत रख रहीं हैं। दशहवा गांव निवासी हसनतारा खातून उम्र 65 वर्ष बीते 20 वर्षों से छठ का व्रत कर रहीं हैं। हसनतारा कहती है कि नाती-पोता न होने से उनका परिवार काफी दुःखी रहता था। बहू का डॉक्टरों से उपचार भी कराया, लेकिन उसको कोई लाभ नहीं मिला। गांव की महिलाओं ने उन्हें सलाह दिया कि एक बार सच्चे मन से छठ का व्रत करें तो उसका फल जरूर मिलेगा। पहले साल ही छठ व्रत करने पर घर में नन्हें मेहमान का आगमन हुआ। तभी से वह छठ का व्रत रख रहीं हैं।
कहानी एक ही नही, कई महिलाएं छठ मईयां के चमत्कार की गवाह वन गयी है। इसी गांव की एक 42 वर्षीय जोहड़ी खातून की चार बेटियां हैं। वह भी एक बेटे की इच्छा लिए छठ का व्रत शुरू किया। कुछ साल बाद ही उन्होंने दो बेटों को जन्म दिया। जोहड़ी कहती हैं कि वह जिन्दगी के अन्तिम पड़ाव तक छठ का व्रत रखेंगी। दशहवा निवासी ऐसुन खातुन, कैमरून नेशा, जुलेखा, वही रामपुर बरहन निवासी जोहरा बेगम, संतुलिया बानो व जहरिना बेगम भी पिछले कई वर्षों से आस्था और विश्वास के साथ छठ का व्रत कर रहीं हैं। जहरिना कहती हैं कि छठ व्रत करने की इच्छा हुई तो उनके शौहर ने मना कर दिया। इसके बाद से ही वह गंभीर रूप से बीमार रहने लगे। उनके कहने पर मैंने व्रत शुरू किया तो शौहर भी ठीक हुए और खुशी से समय भी गुजर रहा है।