भोपाल। शिव की नगरी उज्जैन के महाकाल लोक का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 अक्टूबर को लोकार्पण करने जा रहे हैं. महाकाल लोक के लोकार्पण कार्यक्रम को लेकर दीवाली जैसी तैयारियां की जा रही हैं. लोकार्पण के मौके पर प्रदेश के करीब 20 हजार बड़े मंदिरों में दीवाली मनाई जाएगी. महाकाल लोक का भव्य रूप दिया गया है. इसको खास मौकों पर आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की संख्या को ध्यान में रखकर इस पूरे लोक को डिजाइन किया गया है. पूरे महाकाल लोक का निर्माण बंसी पहाड़ के पत्थरों से किया गया है.
महाकाल लोक इसलिए है आकर्षक:
- महाकाल लोक में बंसी पहाड़ के पत्थरों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है, जो बेहद आकर्षक है. इस नक्काशी पर करीबन 190 करोड़ रुपए खर्च हुआ है. महालोक के पहले चरण पर करीबन 320 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की जा चुकी है.
- महाकाल लोक में भव्य नंदी द्वार और पिनाकी द्वार बनाए गए हैं, जहां से श्रद्धालुओं का प्रवेश होगा.
- यहां करीब 900 मीटर लंबा पेडेस्ट्रियन कॉरिडोर बनाया गया है, जो विजिटर प्लाजा को मंदिर से जोड़ता है.
- महाकाल लोक में 108 म्यूरेल और भगवान शिव से जुड़ी 93 मूर्तियां स्थापित की गई हैं, जिसके जरिए बाबा महाकाल के विभिन्न रूपों और वृतांत को दर्शाया गया है. इसमें भगवान शिव का विवाह, त्रिपुरासुर वध, शिव पुराण और शिव तांडव को दिखाया गया है.
इसलिए है मंदिर का महत्व: 12 ज्योतिर्लिंगों में महाकालेश्वर दुनिया का एक मात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग हैं. महाकाल मंदिर का उल्लेख महाकवि कालिदास और तुलसीदास जी की रचनाओं में भी मिलता है. महाकाल की महिमा का उल्लेख महाभारत, स्कंद पुराण, भगवान श्रीकृष्ण रचित महाकाल सहस्त्रनामवली में महाकाल की आराधना है. बुद्ध के समय महाकाल महोत्सव आयोजित किया जाता था. संवत प्रवर्तक राजा विक्रमादित्य ने मंदिर का विस्तार कराकर पूजा की शास्त्रसम्मत व्यवस्था लागू की थी. राजा भोज ने भी मंदिर का विस्तार कराया था. महाकाल लोक के निर्माण के दौरान यहां 2 हजार साल पुराने शुंग कालीन प्रमाण प्राप्त हो चुके हैं.