ग्वालियर। करीब तीन शताब्दी पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए सिंधिया परिवार के मुखिया एवं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार शाम को शमी पूजन किया. सुबह अपनी कुलदेवी मांढरे वाली माता की पूजा अर्चना के बाद नियमानुसार शाम को धन धान्य के प्रतीक शमी के पौधे की पूजा की गई. ब्राह्मण और पुरोहितों ने विधि विधान से शमी का पूजन करवाया, बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रियासतकालीन तलवार को जैसे ही पौधे से छुआया, वैसे ही लोग शमी की पत्तियां लूटने के लिए टूट पड़े. मान्यता है कि शमी का पौधा सोने का प्रतीक है. क्षेत्र की खुशहाली और धन-धान्य से परिपूर्णता के लिए शमी पूजन किया जाता था. 300 साल पहले जब सिंधिया साम्राज्य की स्थापना हुई, तब से परिवार के मुखिया सुबह मांढरे वाली माता की पूजा गोरखी देवघर की पूजा छत्री में अपने पूर्वजों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने सहित शाम को शमी की पूजा करते हैं. यह परंपरा तभी से चली आ रही है. इस मौके पर केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने सभी को असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक दशहरे पर्व की शुभकामनाएं दी और क्षेत्र की खुशहाली शांति और समृद्धि की ईश्वर से कामना की. पूजा के दौरान रियासत कालीन मराठा सरदार और उनके वंशज अपनी पारंपरिक वेशभूषा में वहां मौजूद रहे.
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