आजादी की लड़ाई से लेकर राम मंदिर निर्माण में योगदान देने वाले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का निधन

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भोपाल/नई दिल्ली : हिंदू धर्म गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को निधन हो गया. वह 99 साल के थे. मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर के झोतेश्वर मंदिर में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने अंतिम सांस ली. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. द्वारका की शारदा पीठ और ज्योर्तिमठ बद्रीनाथ के शंकराचार्य ने 2 सितंबर को ही अपना 99 वां जन्मदिन मनाया था. पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है.

99 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

99 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

मध्य प्रदेश में जन्म, काशी में ली थी वेद-वेदांग और शास्त्रों की शिक्षा : शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितंबर 1924 को मध्यप्रदेश राज्य के सिवनी जिले में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में पिता धनपति उपाध्याय और मां गिरिजा देवी के यहां हुआ. माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा. 9 वर्ष की उम्र में उन्होंने घर छोड़ कर धर्म यात्रायें प्रारम्भ कर दी थीं, इस दौरान वह काशी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली. यह वह समय था जब भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाने की लड़ाई चल रही थी.

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को मिली शंकराचार्य की उपाधि: 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगा तो वह भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े और 19 साल की उम्र में वह ‘क्रांतिकारी साधु’ के रूप में प्रसिद्ध हुए. इसी दौरान उन्होंने वाराणसी की जेल में 9 और मध्यप्रदेश की जेल में 6 महीने की सजा भी काटी. वे करपात्री महाराज की राजनीतिक दल राम राज्य परिषद के अध्यक्ष भी थे. 1950 में वे दंडी संन्यासी बनाये गए और 1950 में शारदा पीठ शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दंड से संन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे. 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली.

पीएम मोदी-गृहमंत्री शाह ने जताया शोक : शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत कई नेताओं ने शोक जताया है. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं. ओम शांति!’

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