भोपाल। गुजरात में बिलकिस बानो मामले के दोषियों को रिहा करने को लेकर पिछड़े विवाद के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने ऐसे मामलों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. मध्य प्रदेश सरकार ने तय किया है कि नाबालिग से दुष्कर्म आतंकी गतिविधियों में लिप्त और जहरीली शराब बनाने के मामले में आजीवन सजा पाने वाले कैदियों को अपनी आखिरी सांस तक जेल में ही रहना होगा. इसी तरह सामूहिक बलात्कार और 2 से ज्यादा हत्या के मामलों में भी कैदियों को आखरी सांस तक रिहा नहीं किया जाएगा. आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कैदियों की समय से पहले रिहाई की प्रस्तावित नीति में इसका प्रावधान किया गया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस नीति के प्रावधानों की समीक्षा की है. अपर मुख्य सचिव गृह एवं जेल डॉक्टर राजेश राजौरा की अध्यक्षता में गठित टीम ने करीब आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में अपनाई जा रही नीति के अध्ययन के बाद मध्य प्रदेश की नीति प्रस्तावित की है.
नीति में किए गए कई प्रावधान
नई नीति में इन कैदियों को नहीं मिलेगी राहत
- राज्य सरकार द्वारा जो नई नीति प्रस्तावित की गई है उसके अनुसार संगीन मामलों में सजा पाने वाले कैदियों को राहत मिलेगी.
- आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं और उन्हें सजा सुनाई गई है.
- नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में शासकीय सेवकों की सेवा के दौरान हत्या करने वाले, जहरीली शराब बनाने और उससे होने वाली लोगों की मौत के मामले में सजा पाने वाले कैदियों को राहत नहीं मिलेगी.
राज्य के विरुद्ध अपराध और सेना के किसी भी अंग से संबंधित घटना घटित करने वाले कैदी को भी राहत नहीं दी जाएगी.
इस प्रस्तावित नीति का प्रजेंटेशन मुख्यमंत्री के सामने किया गया जिसमें मुख्यमंत्री ने कहा है कि नाबालिग दुष्कर्म मामले में किसी भी स्थिति में बंदियों को समय के पहले रिहाई का लाभ नहीं मिलना चाहिए. ऐसे अपराधी समाज विरोधी हैं.