नई दिल्ली : बेंगलुरु के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. बता दें, हाईकोर्ट की अनुमति के खिलाफ याचिका पर सर्वोच्च अदालत की बेंच ने यह फैसला दिया है. कोर्ट ने गणेश पूजा की इजाजत नहीं दी है. कोर्ट ने अपने फैसले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है. कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी.
कर्नाटक उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 26 अगस्त को राज्य सरकार को चामराजपेट में ईदगाह मैदान का इस्तेमाल करने के लिए बेंगलुरु (शहरी) के उपायुक्त को मिले आवेदनों पर विचार करके उचित आदेश जारी करने की अनुमति दी थी.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एमएम सुंदरेश की स्पेशल बेंच में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील मुकुल रोहतगी से पूछा कि क्या पहले इस स्थान पर कोई अन्य धर्म का कार्यक्रम हुआ है. रोहतगी ने कहा कि राज्य सरकार ने ऐसी कोई इजाजत नहीं दी. रोहतगी ने कहा कि मालिकाना हक को लेकर कभी विवाद नहीं था. सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी मालिकाना हक को लेकर नहीं है, यह भूमि राज्य सरकार की है.
मुस्लिम निकाय का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने मामले का उल्लेख और तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए कहा था कि क्षेत्र में अनावश्यक धार्मिक तनाव पैदा किया जा रहा है. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने पहले सुनवाई की, लेकिन दोनों ने अलग-अलग फैसले दिए, लिहाजा इस मामले को तीन सदस्यीय बेंच के पास भेज दिया गया था.
फिलहाल चामराजपेट मैदान के चारों ओर बैरिकेडिंग कर दी गई है और मैदान में सिर्फ एक तरफ जाने की इजाजत है. पुलिस ने एहतियात के तौर पर पश्चिमी सेक्टर में कुछ घरों में पहले ही छापेमारी की है. पुलिस ने फरार अपराधियों को भी हिरासत में लिया है और सीआरपीसी की धारा 110 के तहत चेतावनी जारी की गई है.
हुबली-धारवाड़ नगर निगम (एचडीएमसी) ने ईदगाह मैदान में तीन दिनों के लिए गणेश प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति देने का फैसला किया गया. हुबली-धारवाड़ के महापौर इरेश अचंतगेरी ने निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ चली लंबी बैठक के बाद सोमवार देर रात इस फैसले की घोषणा की. उन्होंने बताया कि यह फैसला नगर निकाय द्वारा इस मुद्दे पर गठित सदन की समिति की अनुशंसा पर लिया गया.
महापौर के अनुसार सदन की समिति ने कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श लेने के बाद गणेश उत्सव की अनुमति देने की अनुशंसा की थी. इसे उत्सव को अनुमति देने के पक्ष में 28 और विरोध में 11 ज्ञापन मिले थे. उन्होंने बताया कि समिति की रिपोर्ट और विस्तृत चर्चा के बाद तीन दिन के लिए गणेश उत्सव की अनुमति देने का फैसला किया गया. महापौर ने बताया कि छह संगठनों ने गणेश प्रतिमा स्थापित करने की अनमुति मांगी थी, जिनमें से एक को चुना गया और बाकी से सद्भावनपूर्वक तरीके से उत्सव मनाने में सहयोग करने का अनुरोध किया गया. गौरतलब है कि नगर निगम ने यह फैसला कांग्रेस पार्षदों के विरोध के बावजूद लिया.