भोपाल। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मध्य प्रदेश दौरे के बाद से सत्ता और भाजपा संगठन में बदलाव की अटकलें अब रफ्तार पकड़ने लगी है. विधानसभा चुनाव 2023 के मद्देनजर पार्टी चुनाव से डेढ़ साल पहले संगठन में बड़ा बदलाव कर सकती है ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं. इन कयासों को मजबूत जमीन नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों ने दी है. कांग्रेस के मुकाबले यकीनन बीजेपी के पास जश्न मनाने का मौका रहा, लेकिन दूर की सोच रखने वाली बीजेपी शहरी वोट में कांग्रेस की सेंध और कमबैक को भी नजरअंदाज नहीं कर रही. लिहाजा सियासी जानकार ये कह रहे हैं कि विधानसभा चुनाव के वार्मअप से पहले पार्टी में बदलाव की पूरी संभावना है.
एमपी बीजेपी में होते रहे हैं पोखरण विस्फोट: बीजेपी की कार्यशैली जिस ढंग की है उसमें अटकलें हमेशा सटीक बैठे ऐसा भी नहीं, लेकिन पार्टी जो निर्णय लेती है. वो दीवारों के कान भी नहीं भांप सकते. 2013 के विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी में हुआ घटनाक्रम इसकी मिसाल है. जब प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष प्रभात झा को कानों कान खबर नहीं हुई थी और उन्हें अध्यक्ष पद से हटाकर नरेन्द्र सिंह तोमर को ये जवाबदारी दी थी. उस समय प्रभात झा ने खुद ये बयान दिया था कि उनकी विदाई पोखरण विस्फोट की तरह रही. जिसकी भनक आखिरी दम तक उन्हें नहीं लगने दी गई. बीजेपी की कार्यशैली है, वो जानती है कि कब कहां और कैसे निर्णय लेना है. सियासत में कयास अपनी जगह बीजेपी का निजाम अपनी जगह है.