नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के लिए सोमवार को संसद भवन के जीएमसी बालयोगी सभागार में विदाई समारोह आयोजित किया गया. इस समारोह में वेंकैया नायडू ने अपने जीवन के तमाम किस्से सुनाए. जिसके चलते वे भावुक भी हुए. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि कोई भी शख्स अपनी मेहनत के बल पर कुछ भी हासिल कर सकता है. उन्होंने इस दौरान वहां उपस्थित लोगों को सीख और सलाह भी दी.
एम वेंकैया नायडू ने कहा कि मैं अपने जीवन में भगवान के बाद अगर किसी को मानता हूं तो वे अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी था, लेकिन मैंने कभी भी उनके पैर नहीं छुए. उन्होंने कहा कि आपकी मेहनत ही आपको ऊंचे पद पर लेकर जाएगी बाकी कुछ काम नहीं आएगा. इसके अलावा नायडू ने कहा कि मैं एक तरफ बहुत खुश हूं और दूसरी तरफ मुझे लगता है, मैं आप सभी को याद कर रहा हूं क्योंकि मैं 10 अगस्त से सदन की अध्यक्षता करने की स्थिति में नहीं रहूंगा. मैं हमेशा सदन का अभिवादन करते हुए ‘नमस्ते’ कहा करता था क्योंकि भारतीय परंपरा और संस्कृति में बहुत कुछ है.
उन्होंने कहा कि मैंने 5 साल जिम्मेदारी संभाली. एक तरफ उपराष्ट्रपति की भूमिका थी तो दूसरी तरफ अपर हाउस. मैंने हमेशा एक गरिमा बनाए रखने की कोशिश की. मै खुद देवियो-सज्जनों या ब्रदर्स और सिस्टर्स अथवा लेडीज या जेंटलमैन के साथ संबोधित करता था. आप सभी से नमस्ते के साथ अभिवादन होता था. ये हमारी भारतीय संस्कृति का हिस्सा है. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, पीयूष गोयल, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे समेत अन्य नेता मौजूद थे.
बेहद साधारण परिवार से है ताल्लुक
कार्य्रक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वह एक साधारण किसान परिवार से आते हैं और स्कूल 3 किलोमीटर चलकर जाना पड़ता था. उन्होंने आगे कहा कि पार्टी का कोई भी बड़ा नेता जब शहर आता था तो पूरी रात पोस्टर चिपकाते थे. उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की सभा जब हमारे यहां हुई तब मैं तांगा में बैठकर उद्घोषणा की और पोस्टर चिपकाया. पार्टी में सामान्य कार्यकर्ता से पार्टी का अध्यक्ष बना. यह लोकतंत्र की खूबसूरती है. उन्होंने सदस्यों से कड़ी मेहनत की अपील की और कहा कि लोगों से मिलिए और उनकी बातें सुनिए.