उपराष्ट्रपति का चुनाव आज, जानें, कैसे होता है यह चुनाव, कौन डाल सकता है वोट

नई दिल्ली: देश के नए उप राष्ट्रपति के चुनाव के लिए आज वोटिंग हो रही है. उपराष्ट्रपति चुनाव 2022 के लिए संसद भवन में सुबह 10 बजे से वोट डा जा रहे हैं. इसके तुरंत बाद वोटों की काउंटिग शुरू होगी. शाम तक इसका फैसला हो जाएगा कि कौन नया उपराष्ट्रपति होगा.

भारत के संविधान में उपराष्ट्रपति का जिक्र

वहीं, संविधान के अनुच्छेद 64 के अनुसार उपराष्ट्रपति ‘राज्यों की परिषद का पदेन अध्यक्ष होगा’.

कब होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए चुनाव आयोग एक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करता है.

निर्वाचन अधिकारी चुनाव को लेकर पब्लिक नोट जारी करता है और उम्मीदवारों से नामांकन मंगवाता है.

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति अहम संवैधानिक पद हैं.

उपराष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ सांसद ही वोट डाल सकते हैं. वहीं, राष्ट्रपति के चुनाव में राज्‍यों के विधानमंडलों के सदस्यों को भी मतदान का अधिकार होता है.

उपराष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया

उम्मीदवार संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होना चाहिए.

काउंटिंग का खास तरीका

काउंटिंग में सबसे पहले देखा जाता है कि सभी उम्मीदवारों को पहली प्राथमिकता वाले कितने वोट मिले हैं.

उम्मीदवारों को मिले पहली प्राथमिकता वाले वोटों को जोड़ा जाता है. इसके बाद कुल संख्या को 2 से विभाजित किया जाता है और भागफल में 1 जोड़ दिया जाता है.

इसके बाद जो संख्या मिलती है उसे वह कोटा माना जाता है, जो किसी उम्मीदवार को काउंटिंग में बने रहने के लिए आवश्यक है.

अगर कोई उम्मीदवार पहली ही काउंटिंग में जीत के लिए जरूरी कोटे के बराबर या उससे अधिक वोट हासिल कर लेता है तो उस उम्मीदवार को जीता हुआ घोषित कर दिया जाता है.

अगर रिजल्ट नहीं निकल पाता तो इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है. फिर सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को चुनाव की रेस से बाहर कर दिया जाता है. लेकिन उसे पहली प्राथमिकता देने वाले वोटों में यह देखा जाता है कि वोटिंग में दूसरी प्राथमिकता किसे दी गई है. इसके बाद दूसरी प्राथमिकता वाले इन वोटों को दूसरे उम्मीदवारों के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है.

इन वोटों के ट्रांसफर करने के बाद अगर किसी उम्मीदवार के वोट कोटे वाली संख्या के बराबर या उससे अधिक हो जाते हैं तो उस उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया जाता है.

यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक किसी एक उम्मीदवार को कोटे के बराबर वोट हासिल ना हो जाए.

विवाद की स्थिति में
राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति चुनाव में किसी भी संदेह या विवाद सामने आने पर संविधान के अनुच्छेद-71 के मुताबिक, फैसले का अधिकार केवल देश की सुप्रीम कोर्ट को है.

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