आप सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में दो विधेयक पेश किए

नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी विधेयक, 2022 और संविधान (संशोधन) विधेयक, 2022 सहित दो विधेयक पेश किए।  ‘रिज़ॉर्ट राजनीति’ को रोकने के लिए,सांसद चड्ढा ने राज्यसभा में एक संविधान (संशोधन) विधेयक, 2022 पेश किया। बिल में प्रस्ताव है कि यदि कोई सांसद या विधायक चुनाव जीतकर अपनी पार्टी बदलता है तो उस पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
उसी तरह, विधायकों और सांसदों को सरकार से समर्थन वापस लेने के 7 दिनों के भीतर स्पीकर के सामने पेश होना होगा। यदि कोई विधायक या सांसद ऐसा करने में असमर्थ होता है, तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाना चाहिए।
इस बिल के तहत अयोग्यता से बचने के लिए एक विधायक दल के सदस्यों के दूसरे दल में शामिल होने की मौजूदा सीमा को 2/3 से बढ़ाकर 3/4 करने का भी प्रस्ताव है। राघव चड्ढा ने कहा कि छोटे राज्यों में जहां सदन की संख्या 30 से 70 के बीच है, वहां दल-बदल विरोधी के बढ़ते मामलों के कारण यह प्रावधान आवश्यक है।
एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मीडिया को संबोधित करते हुए सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि उन्होंने राज्यसभा में एमएसपी पर एक विधेयक पेश किया है, जिसमें प्रत्येक किसान को उसकी फसल, कृषि उपज या संबंधित मामले के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का अधिकार देने का प्रस्ताव है।
राघव चड्ढा ने कहा कि केंद्र में भाजपा सरकार में एमएसपी के मुद्दे पर झूठा वादा कर किसानों की पीठ में छुरा घोंपा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में वह किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ मेरी व पूरी आम आदमी पार्टी की लड़ाई जारी है और जारी रहेगी।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का किसानों को एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने के अपने वादे से पीछे हटना साबित करता है कि वह किसान विरोधी और पंजाब विरोधी है। सांसद चड्ढा ने कहा कि, “यही कारण है कि मैंने इस मुद्दे पर बहस के लिए केंद्र सरकार को मजबूर करने के लिए आज राज्यसभा में एक निजी सदस्य का विधेयक पेश किया है।”
राघव चड्ढा ने कहा कि केंद्र सरकार को एमएसपी की समिति में पंजाब के विशेषज्ञों और किसानों को शामिल करना चाहिए, क्योंकि पिछली  सरकारों द्वारा गठित समितियों में शामिल किये गए विशेषज्ञों और किसान संगठनों ने सिफारिश की थी कि एमएसपी निर्धारित करने के लिए गणना और प्रक्रिया को संशोधित और सुधार की आवश्यकता है।

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