मुंबई: शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत को जारी सियासी संकट के मैदान में उतारा है. वही अब बागियों को बताएंगे कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली मूल पार्टी के पास बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने का अधिकार है. कामत ने कहा कि बागी विधायकों को भ्रमित किया जा रहा है कि वे भाजपा सरकार का समर्थन करते हुए एक अलग समूह के रूप में विधानसभा में मौजूद रह सकते हैं. कामत ने कहा: “बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा. उनका दावा है कि उनके पास दो-तिहाई बहुमत है और इसलिए दलबदल विरोधी कानून के प्रावधान उन पर लागू नहीं होंगे. दसवीं अनुसूची के पैरा 2 के तहत शिवसेना ने 16 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता ठहराने की कार्रवाई शुरू की है.” कामत ने कहा कि दो-तिहाई बहुमत के अयोग्यता का सामना न करने का विचार तभी संभव था जब वे किसी अन्य पार्टी में विलय हो जाएं. इस प्वाइंट पर भी उनका विलय नहीं हुआ है.”
“रवि नाइक मामले में कई फैसले हैं और साथ ही कर्नाटक मामले में नवीनतम फैसले हैं, जो हमारे पक्ष में हैं. बागी विधायकों ने दावा किया है कि एक विधायक केवल सदन के अंदर कृत्यों के लिए कार्रवाई का सामना कर सकता है. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि यदि कोई विधायक सदन के बाहर पार्टी विरोधी गतिविधियां करता है तो उसे अयोग्य ठहराया जा सकता है. कामत ने कहा कि उन्होंने शरद यादव का प्रतिनिधित्व किया था जब उन्हें एक विपक्षी रैली में भाग लेने के लिए जनता दल (यूनाइटेड) की अयोग्यता का सामना करना पड़ रहा था और वह केस हार गए क्योंकि यह माना गया था कि यादव एक विपक्षी रैली में भाग लेने के लिए अयोग्यता के लिए उत्तरदायी थे. बागी विधायक शिवसेना द्वारा बुलाई गई कई बैठकों में शामिल नहीं हुए हैं. भाजपा नेताओं से मिले हैं और यहां तक कि भाजपा शासित राज्य में भी रह रहे हैं. वे महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ लिख रहे हैं और यहां सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं. ये दलबदल विरोधी कानून के तहत स्पष्ट उल्लंघन हैं.”
बता दें कि शिवसेना सुप्रीम कोर्ट के वकील को मैदान में उतारकर बागियों को संदेश देने की कोशिश कर रही है. पार्टी को पता है कि बागी भाजपा में विलय नहीं करना चाहते क्योंकि शिवसेना के मतदाता शायद ही इस विलय को स्वीकार करेंगे. शिवसेना का तर्क है कि विधायकों को भ्रमित किया जा रहा है. उद्धव ठाकरे खेमे के मंत्री उदय समत गुवाहाटी के लिए रवाना हो गए हैं. यह पार्टी के लिए काफी शर्मिंदगी की बात है क्योंकि अब एकनाथ शिंदे गुट में सरकार के आठ मंत्री शामिल हैं. कामत ने बागियों के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल के पास स्पीकर के अधिकार नहीं हैं. उपसभापति के पास अध्यक्ष के समान शक्तियाँ हैं … जब तक विधानसभा नहीं बुलाई जाती है तब तक अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की सूचना नहीं दी जा सकती है.”