9 जून, को गंगा दशहरा है। इस साल गंगा दशहरा की तारीख को लेकर पंचांग भेद है। कुछ पंचांग में ये पर्व 10 जून को है। इस तिथि पर गंगा नदी का पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। वराह पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर हस्त नक्षत्र में स्वर्ग से गंगा नदी पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। गंगा नदी दस प्रकार के पापों का नाश करने वाली मानी गई है। इसलिए इस तिथि को गंगा दशहरा कहते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार राजा भागीरथ ने अपने पितरों को उद्धार के लिए कठोर तप किया था और गंगा नदी से पृथ्वी पर आने का वर मांगा था। इसके बाद गंगा के प्रबल वेग को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में धारण किया और सात धाराओं से पृथ्वी पर छोड़ा था। इसके बाद गंगा नदी के पृथ्वी पर आने से भागीरथ के पितरों का उद्धार हो गया था।
घर में गंगाजल रखने की है परंपरा
घर में गंगा जल रखने से सकारात्मकता और पवित्रता बनी रहती है। काफी लोग प्लास्टिक की बोतलों में गंगाजल रखते हैं, जबकि गंगाजल प्लास्टिक में रखने से बचना चाहिए। गंगा जल को तांबे, चांदी या सोने के बर्तन शुभ रहते हैं। घर के मंदिर में गंगाजली रखें और नियमित रूप से पूजा-पाठ करें।
सकारात्मकता और पवित्रता बनाए रखने के लिए शुभ अवसरों और पर्वों पर घर में गंगाजल का छिड़काव करते रहना चाहिए।
शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए गंगा जल
रोज सुबह शिव पूजा करते समय शिवलिंग गंगा जल चढ़ाना चाहिए। अगर ज्यादा गंगा जल न हो तो एक लोटे में सामान्य जल भरें और उसमें थोड़ा सा गंगा जल डालें। इसके बाद जल से शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।