गंगा दशहरा 9 जून को है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी को ये पर्व मनाया जाता है। ये गंगाजी के पृथ्वी पर अवतरण का दिन है। इस दिन गंगा नदी में स्नान, दान और उपवास रखने का विशेष महत्व है। मांगलिक कामों के लिए भी ये दिन बहुत अच्छा माना गया है।
इस साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर हस्त नक्षत्र और व्यतिपात योग के साथ ही वृष राशि का सूर्य और कन्या राशि में चंद्रमा के रहते हुए गंगा दशहरा पर्व मनाया जाएगा। इस पर्व पर गंगाजी या पास की किसी भी पवित्र नदी, सरोवर या घर में गंगाजल से नहाने की परंपरा है। इसके बाद देवी गंगा के साथ नारायण, शिव, ब्रम्हा, सूर्य, राजा भगीरथ और हिमालय पर्वत का भी पूजन करना चाहिए।
इन 10 योगों की मान्यता है गंगा दशहरा पर
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि जिन दस योगों में गंगा धरती पर आईं थी। उनमें से सात योग इस बार बन रहे हैं। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को 10 योगों में देवी का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। इसलिए इस पर्व को दशहरा कहा गया है। इसमें ये दस योग कहे गए हैं- ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुधवार, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर करण, आनंद योग, कन्या का चंद्रमा और वृषभ का सूर्य। डॉ. मिश्र के अनुसार इस बार गंगा दशहरा पर 10 में से 7 योग बन रहे हैं, जिनमें ये पर्व मनाया जाएगा। आनंद योग, गर करण और बुधवार का संयोग इस बार नहीं है।
दान करने का महत्व
इस दिन 10 अंक का विशेष महत्व होता है, मतलब गंगा दशहरा के दिन आप जो भी दान करें उसकी संख्या 10 हो तो बहुत ही शुभ माना गया है। यही नहीं पूजा-पाठ में शामिल सामग्रियों की संख्या भी, जैसे 10 दीप, फूल, फल आदि। यहां तक कि गंगा में डुबकी भी 10 बार लगानी चाहिए। इस दिन जो भी मनोकामना की जाती है वो पूरी होती है।
गंगा दशहरे पर मीठे पेय, मटका, पंखा, खरबूजा, आम, चीनी आदि चीजों का दान करने से पुण्य प्राप्त होता है। ऐसे भी कहा जाता है कि गंगा में स्नान मात्र करने से 10 तरह के पाप धुल जाते हैं, जिसमें 3 दैहिक, 4 वाणी के द्वारा किए पाप और 3 मानसिक पाप शामिल हैं। इसलिए हिंदू धर्म के मानने वाले अपने जीवन काल में एक बार तो गंगा स्नान जरूर करते हैं।
कौन से दस पाप खत्म होते हैं
ब्रह्मपुराण के अनुसार, हस्त नक्षत्र के साथ ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी दस तरह के पाप खत्म करने वाली होती है। इसलिए इसे दशहरा कहते हैं। दस पाप में बिना मंजूरी के दूसरे की चीज लेना, हिंसा, परस्त्री गमन, कड़वा बोलना, झूठ बोलना, पीछे से बुराई या चुगली करना, फालतू बातें करना, दूसरे की चीजों को गैर कानूनी ढंग से लेने का विचार करना, दूसरे का बुरा होने की कामना करना और नास्तिक बुद्धि रखना शामिल है।