विवेक तन्खा बोले-मैं बुलडोजर राज का विरोधी:कहा-मुख्यमंत्री, मंत्री और कलेक्टर कैसे तय कर सकते हैं कि वह किसी का घर तोड़ दें?

मध्यप्रदेश से लगातार दूसरी बार राज्यसभा सदस्य चुने गए विवेक तन्खा ने ओबीसी आरक्षण मामले में बीजेपी सरकार की घेराबंदी की है। उन्होंने एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि शिवराज जी जीवनभर लीडर नहीं रहेंगे, कभी तो सामान्य नागरिक बनेंगे। जब कोर्ट में उनका ट्रायल होगा, तब पता चलेगा कि विवेक तन्खा झूठ बोल रहे हैं या नहीं? 

एक समाचार पत्र : लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी इस्तीफा देने पर अड़ गए तो सबसे पहले आपने उनके समर्थन में लीगल सेल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की, क्यों?

तन्खा: जब राहुल जी ने इस्तीफा दिया था, तब मैं परिवार के साथ लंदन में था। मैने जब सोशल मीडिया पर देखा कि उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है तो मैंने भी वहीं से अपना त्याग पत्र भेज दिया था। क्योंकि मैं राहुल जी के आग्रह पर कांग्रेस का लीगल हेड बना था। उनके ही अनुरोध पर पॉलिटिक्स में आया था। मेरी पॉलिटिक्स राहुल जी के साथ 2014 में शुरू हुई थी। मैं तो लोकसभा का चुनाव लड़ना नहीं चाहता था, लेकिन उनके कहने पर ही मैं मैदान में उतरा था। कमलनाथ जी मुझे 11 दिन तक रोज फोन करते थे। मैं चुनाव इसलिए नहीं लड़ना चाहता था कि मैं डरता था।

एक समाचार पत्र : ओबीसी आरक्षण को लेकर बीजेपी आरोप लगाती है कि कांग्रेस के कारण इस वर्ग के साथ अन्याय हुआl आपको विलेन बताया जा रहा हैl

तन्खा: मजे की बात तो यह है कि अभी दो केस पैंडिंग हैं। एक सिविल और दूसरा क्रिमिनल केस। क्रिमिनल केस शिवराज जी, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ दायर किया है। इनको जब सजा होगी तब आपको पता चलेगा कि सच कौन बोल रहा है और झूठ कौन? जहां तक सच का सवाल है तो यह विश्वास के परे है कि विवेक तन्खा ने ओबीसी वर्ग का कोई अहित किया है। मैं तो इस वर्ग का वकील हूं। कोर्ट से जो राहत मिली है, वह मेरी पैरवी से मिली है।

ओबीसी वर्ग सब जानता है। बीजेपी के कहने से कोई चीज नहीं बदल जाएगी। इन्होंने असंवैधानिक तरीके से पंचायत चुनाव कराने की कोशिश की थी, जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई। मैंने बीजेपी नेताओं पर 10 करोड़ का मानहानि का दावा भी लगाया है। शिवराज जी जीवन भर लीडर नहीं रहेंगे, कभी तो सामान्य नागरिक बनेंगे। जब कोर्ट में उनका ट्रायल होगा तब पता चलेगा कि विवेक तन्खा झूठ बोल रहे हैं या नहीं?

विवेक तन्खा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी हैं।
विवेक तन्खा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी हैं।

एक समाचार पत्र : मध्यप्रदेश में जिस तरह से शिवराज सरकार बुलडोजर चला रही है, आप क्या मानते हैं?

तन्खा: मैं बुलडोजर राज का विरोधी हूं। क्योंकि मैं कानून के राज पर विश्वास करता हूं। आपको किसी का घर तोड़ने का हक नहीं है। यदि तोड़ते हो तो कानून के तहत कार्यवाही करना होगी। पहले नोटिस देना चाहिए। वे किस जाति-धर्म के हैं, यह भेदभाव नहीं किया जा सकता है। मुख्यमंत्री-मंत्री या कलेक्टर कैसे तय कर सकता है कि वह किसी का भी घर तोड़ दे? मेरा मानना है कि ऐसे लोगों पर केस चलना चाहिए। इन पर कमीशन बैठना चाहिए। इन्हें दंडित होना चाहिए। तभी कानून का राज आएगा। बुलडोजर चल सकता है लेकिन विधिवत तरीके से।

एक समाचार पत्र : जिस तरह से यूपी के चुनाव में धार्मिक मुद्दे हावी रहे, क्या आपको लगता है कि मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा होगा?

तन्खा: देखिए, धर्म की राजनीति वे करते हैं, जो देश की समस्या व चुनौती को फेस नहीं कर पाते। देश की चुनौती महंगाई, बेरोजगारी व असुरक्षा है। 130 करोड़ के देश में हमें कितने मैडल मिलते हैं। एथिलेटिक्स में हम कहां हैं? बीजेपी इस पर बात नहीं कर रही। वह 400 साल पुरानी बातें कर रही है।

एक समाचार पत्र : आपके बारे में कहा जाता है कि आप G-23 के सदस्य हैंl कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़ीl आपकी प्रतिक्रिया?

तन्खा: कांग्रेस लीडरशिप पर मेरा विश्वास पहले भी था और अब भी है। उनका विश्वास भी मेरे प्रति उतना ही है। G-23 से जहां तक मेरा संबंध है, मेरा हाईकमान को नीचा दिखाने का कोई उद्देश्य नहीं था। मैं ऐसा सपने में भी नहीं सोच सकता। राहुल जी व प्रियंका जैसे भले लोग आज राजनीति में मिलेंगे नहीं। मौजूदा राजनीति के लिए बहुत ही सभ्य हैं। मैं दूसरी बार राज्यसभा में इसलिए भी जा रहा हूं ताकि उनको सपोर्ट कर सकूं। उनके खिलाफ केस लगाए जा रहे हैं। मैं उनकी मदद करूंगा। मैं हर उस कांग्रेस कार्यकर्ता की मदद करूंगा, जिसे बीजेपी प्रताड़ना दे रही है।

एक समाचार पत्र : केंद्र सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया। इस फैसले को आप कैसे देखते हैं? कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का बिल राज्यसभा में पेश कर चुके हैंl आगे क्या रणनीति है?

तन्खा: जब मैं पहली बार राज्यसभा पहुंचा, तब कश्मीर पर बड़ी डिबेट हुई थी। उसे पूरे देश ने सुना था। मैं अकेला कश्मीरी पंडित हूं राज्यसभा में। मुझे जब बोलने का मौका मिला था, तब अमित शाह जी से एक बात पूछी थी- आपको क्या लगता है, अनुच्छेद 370 हटाने से कश्मीरी पंडित वापस चले जाएंगे? तब मैंने कहा था कि यदि ऐसा होगा तो मैं आपको सेंट्रल हॉल में चाय पिलाऊंगा। मैंने इसे राज्यसभा में फिर दोहराया और उन्हें याद दिलाया। आज कितने पंडित वापस कश्मीर गए? उल्टा वे भय में हैं। उन्हें डराया व मारा जा रहा है। बीजेपी के साथ दिक्कत यह है कि वह अनुच्छेद 370 को कश्मीर समझ बैठी जबकि कश्मीर की समस्या इससे भी बड़ी है। इसके लिए हिस्ट्री, ज्योग्राफी और संवेदनशीलता को समझाना होगा।

एक समाचार पत्र : कश्मीर फाइल्स फिल्म की पूरी देश में चर्चा हुई। क्या यह फिल्म कश्मीरी पंडितों के साथ हुए नरसंहार की हकीकत बयां करती हैl आप ऐसा मानते हैं?

तन्खा: मैंने यह फिल्म नहीं देखी, क्योंकि मुझे पता है कि जितना इस फिल्म में दिखाया गया, कश्मीर में पंडितों के साथ बहुत ज्यादा हुआ था। मैं इस फिल्म के माध्यम से राजनीतिक चित्रण नहीं देखना चाहता। जो बीजेपी देखना चाहती है। मानवता के साथ राजनीति नहीं की जाती है। कश्मीर में शांति तभी आएगी, जब पंडित खुश होकर वापस लौटेंगे। बीजेपी ने इस फिल्म से देश में माहौल बनाया और यह संदेश देने की कोशिश की है कि बीजेपी कश्मीरी पंडितों के साथ है।

एक समाचार पत्र : आप जबलपुर से हैंl बीजेपी की नजर महाकौशल और विंध्य पर हैl पहले अमित शाह और अब जेपी नड्डाl आप क्या मानते हैं?

तन्खा: देखिए, जो राजनीति आप (बीजेपी) यूपी में कर रहे हैं और बिहार में करना चाहते हो, वह मध्यप्रदेश में नहीं कर पाओगे। यहां अपनी संस्कृति है। यहां लोगों का मिल-जुलकर रहने का तौर तरीका है। मध्यप्रदेश के लोग उत्तेजित नहीं होते, वे धैर्य रखते हैं। इसलिए बीजेपी को यह बताना पड़ेगा कि 15 साल में क्या किया?

एक समाचार पत्र : बीजेपी के ऑपरेशन लोटस पर आपने बयान दिया था कि इस ऑपरेशन की जानकारी पहले से थी?

तन्खा: यह तो मैं अपनी ऑटोग्राफी में लिखूंगा। मैं यह मानता हूं कि यह घटनाक्रम मध्यप्रदेश के राजनीतिक इतिहास में बहुत ही दुखद अध्याय है। एक चलती हुई सरकार का गिरना, चलती हुई सरकार से लोगों का चला जाना और जिस प्रकार से गए, यह प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश ने देखा। उन्हें बंधक बनाकर रखा गया। उस समय हर प्रकार की बातें हुई। पैसे की बात भी प्रचलित थी। ऐसा मध्यप्रदेश के इतिहास में दो बार हुआ। एक बार 2018 में और इससे पहले संविद सरकार बनाने के लिए। दोनों बार विपक्ष के कहने से हुआ।

एक समाचार पत्र : आपको सिंधियाजी से बात करने की जिम्मेदारी दी गई थी। उनकी क्या डिमांड थी?

तन्खा: उस पीरियड में सिंधिया जी से कभी बात नहीं हुई। हमने उनसे बात करने का प्रयास किया था, लेकिन उनका मोबाइल बंद हो चुका था। जब मोबाइल चालू था, तब भी वे मेरा कॉल अडेंट नहीं कर रहे थे।

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