- पिछली परिषद में कांग्रेस की सभी 9, भाजपा की 32 में से 21 महिला पार्षद नेताओं के परिवारों से रहीं
- कुल 43 में से सिर्फ 20% वार्डों में ही मिला था कार्यकर्ताओं को मौका
इंदौर:नगरीय निकाय चुनाव में 50 प्रतिशत महिला आरक्षण भले ही हो, लेकिन इसमें भी आधी सीटों पर कब्जा नेताओं के परिवार का है। इन सीटों पर उनकी पत्नी, बहू या बेटियां चुनाव लड़ेंगी। भाजपा में यह आंकड़ा काफी बड़ा है तो कांग्रेस में जीत भी इन्हीं की तय मानी जाती है। पिछली परिषद में भाजपा की 32 महिला पार्षद थीं तो कांग्रेस की 9। खास बात यह है कि कांग्रेस की सभी 9 पार्षद नेताओं की पत्नियां ही थीं। भाजपा में जरूर मोर्चा से जुड़ी कार्यकर्ताओं को मौका मिला था।
इस बार भी चुनाव के ठीक पहले दोनों दलों में महिला प्रत्याशियों को लेकर मशक्कत कम नहीं है। पिछली बार की तरह कांग्रेस में इस बार भी पुरानी महिला नेत्रियों को टिकट मिलना तय है, बावजूद 20 से ज्यादा वार्डों में कांग्रेस को दिक्कत आ रही है। दूसरी ओर भाजपा में फिलहाल सुगबुगाहट शुरू जरूर हुई है, लेकिन सारी लॉबिंग संगठन से ज्यादा विधायकों तक सीमित है। महिला मोर्चा कोटे में जरूर 5 से 7 टिकट जा सकते हैं।
- 20 वार्ड में उम्मीदवार के लिए मशक्कत
- 07 टिकट भाजपा में मोर्चा को संभव
- 17 टिकट कांग्रेस में कार्यकर्ताओं को
- 15 पुराने नाम फिर चुनाव मैदान में आ सकते हैं नजर
विकल्प ही नहीं- जो पिछली बार थीं, इस बार फिर चुनाव मैदान में
कांग्रेस से पिछली परिषद में नेता प्रतिपक्ष फौजिया शेख अलीम, प्रीती गोलू अग्निहोत्री, विनीतिका दीपू यादव जैसे नाम थे। इस बार भी इनमें से कई नाम फिर चुनाव मैदान में नजर आएंगे। भाजपा में भागवंती रेडवाल, चंदा सुरेंद्र वाजपेयी, प्रिया यादव, तमन्ना कैरो जैसे नाम नेताओं के परिवारों से थे इस बार भी नेताओं ने आरक्षण के हिसाब से परिवार के लिए वार्ड तलाशना शुरू कर दिया है। दावेदार विधायकों के आसपास मंडरा रहे हैं।
तलाश जारी है- कांग्रेस-भाजपा दोनों को तीन-तीन क्षेत्रों में दिक्कत
पार्टी स्तर पर भाजपा को क्षेत्र क्रमांक 1, 3 और 5 में अच्छी महिला नेत्रियों की तलाश है। इसके लिए नेता खासी मशक्कत कर रहे हैं। इसी तरह कांग्रेस को क्षेत्र क्रमांक 2, 4, और राऊ में उम्मीदवार तलाशने के लिए जोर लगाना पड़ रहा है। हालांकि कांग्रेस का दावा है कि 15 से 17 टिकट संगठन की महिलाओं को देंगे। हालांकि यह आसान नहीं है, क्योंकि पिछली बार भी चुनिंदा कार्यकर्ताओं को ही मौका मिल पाया था।
कुछ मुखर भी- नेताओं की पत्नी-रिश्तेदारों को टिकट का विरोध करेंगे
इधर, शनिवार को गांधी भवन में पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा पहुंचे तो पार्टी की महिला नेत्रियों ने उनसे लंबी चर्चा की। महिला कांग्रेस की पूर्व शहर अध्यक्ष शशि यादव सहित महिलाओं ने कहा कि जो वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, वहां से टिकट कार्यकर्ताओं को दिया जाए। यदि टिकट वितरण में पक्षपात हुआ व नेताओं की पत्नी या रिश्तेदारों को ही टिकट मिला तो हम विरोध करेंगे। फिर पार्टी चाहे हम पर कार्रवाई क्यों न कर दे।
जिला पंचायत में सदस्य तय करेंगे, इसलिए एक ही नारा, सब लड़ो
इधर जिला पंचायत अध्यक्ष अनुसूचित जाति से चुना जाना है। इसका चुनाव पंचायत के 17 सदस्य करेंगे। कांग्रेस में फिलहाल कोई चेहरा तय नहीं है तो भाजपा में सिलावट, सोनकर पहले से ही पदों पर हैं, इसलिए वे इसमें परिवार को नहीं लाना चाहते। फिलहाल दोनों ही पार्टियों ने सबको खुला छोड़ दिया कि जीतो और आओ। यदि अभी से किसी का नाम बता दिया तो सेबोटेज हो सकता है।