- काम न आया पिता का रुतबा
- उस मंजर को शायद ही कोई भूला हो…
- लोकतंत्र में धरना प्रदर्शन की सजा मौत तो नहीं
- लेकिन उस वाक्या ने लखीमपुर खीरी ही नहीं बल्कि समूचे देश के अन्नदाताओं को झकझोर कर रख दिया था.
लखीमपुर खीरी: जनपद के तिकुनिया हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से हाईकोर्ट की जमानत रद्द होने के बाद रविवार को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे व मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा ने सरेंडर कर दिया. नाटकीय घटनाक्रम के तहत चुपचाप सदर कोतवाली की जीप से आरोपी आशीष को जिला जेल ले जाया गया. वहीं, घटना के मुख्य आरोपी के दोबारा जेल की सलाखों के पीछे जाने और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खुशी जाहिर करते हुए मृतक किसान नक्षत्र सिंह के बेटे जगदीप ने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद थी और आशीष के जेल जाने से फिर से न्याय की आस जगी है. उधर मामले में मृतक पत्रकार रमन कश्यप के भाई पवन कश्यप ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पर अब आम जनता का भरोसा बढ़ गया है.
खैर, 68 दिनों तक खुली हवा में सांस लेने के बाद आखिरकार आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को जेल की सलाखों के पीछे जाता देख, जहां तिकुनिया हिंसा के पीड़ित खुश नजर आए तो वहीं, जेल में आरोपी आशीष की पहली रात बेचैनी में गुजरी. बता दें कि उसे आगामी सात दिनों के लिए क्वारंटाइन किया गया है.
गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की जमानत रद्द करते हुए आरोपी आशीष मिश्रा को 25 अप्रैल तक सरेंडर करने का आदेश दिया था. लेकिन 25 अप्रैल को एक सप्ताह की मियाद पूरी होने के एक दिन पहले ही रविवार को कैमरों और मीडिया की नजरों से बचने को गुपचुप तरीके से आशीष अपने अधिवक्ता अवधेश सिंह के साथ सीजेएम कोर्ट पहुंचे और कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए अर्जी दी. जिस पर सीजेएम कोर्ट ने आशीष को जेल भेज दिया. इधर, तिकुनिया हिंसा मामले में पीड़ित किसानों के अधिवक्ता मोहम्मद अरमान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब लोगों में न्याय की आस जगी है. साथ ही आरोपी आशीष के जेल जाने के बाद गवाहों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
एक नजर घटनाक्रम पर… : बता दें कि पिछले साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में हुए हिंसा में चार किसान समेत एक पत्रकार, ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हुई थी. किसानों और पत्रकार की हत्या मामले मेंआशीष मिश्रा समेत 14 लोगों को आरोपी बनाया गया हैं. इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 10 फरवरी को आशीष मिश्रा की जमानत मंजूर कर ली थी. जिसके बाद 15 फरवरी को आशीष मिश्रा जेल से बाहर आया था. आशीष मिश्रा को मिली जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए उसकी जमानत रद्द करते हुए एक सफ्ताह के अंदर सरेंडर करने का निर्देश दिया था.