जाजपुर । ओडिशा के जाजपुर जिले में एक महिला और उसके नवजात बच्चे को उसके परिवार वाले कथित रूप से केवल इसलिये अस्पताल में छोड़कर चले गये कि नवजात के जननांग को लेकर अस्पष्टता थी। आपको बता दे कि नवजात जननांगों से संबंधित बीमारी (हर्माफ्रोडाइट) से पीड़ित है। जाजपुर जिले में स्थित अस्पताल ने परिवार को सूचित किया था कि नवजात के जननांग को लेकर अस्पष्टता है। पीड़ित महिला का कहना है कि उसका परिवार चाहता था कि दोनों तरह (स्त्री और पुरुष) के जननांग वाले नवजात को किसी अनाथालय को दे दिया जाये, लेकिन उसने इसका विरोध किया। महिला को रविवार को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। अस्पताल के चिकित्सा अधिकारियों ने बताया कि नवजात बच्चा हर्माफ्रोडाइट रोग से पीड़ित है। चिकित्सकों के मुताबिक कई वनस्पति और पशु इस श्रेणी में आते हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह के मामले मुनष्यों में दुर्लभ स्थिति में ही देखने को मिलते हैं। महिला ने कहा कि चिकित्सक ने मुझे इस बारे में जानकारी दी, तो मेरे पति और ससुराल वालों ने मुझसे कहा कि बच्चे को किसी अनाथालय को दे दो। वे मुझे अस्पताल में छोड़ गये। लेकिन मैं मां हूं और अपने बच्चे का परित्याग कभी नहीं कर सकती। महिला ने कहा कि वह अन्य चिकित्सकों से परामर्श लेकर बच्चे का इलाज करायेगी। इस बीच ट्रांसजेंडर संघ ने बृहस्पतिवार को अस्पताल में मां और नवजात की सेहत के बारे में जानकारी ली। जाजपुर ट्रांसजेंडर संघ की अध्यक्ष काजल नायक का कहना है कि ‘‘मैं परिवार के सदस्यों से अपील करती हूं कि नवजात को स्वीकार करके उसका प्यार के साथ पालन-पोषण करें। हमारी तरह बच्चे को जीवन में पीड़ा नहीं सहनी पड़े। संघ ने जिलाधिकारी चक्रवर्ती सिंह राठौड़ से मुलाकात की तो उन्होंने बाल कल्याण समिति को मामले का समाधान करने का निर्देश दिया।
भारत की प्राण शक्ति बहुत से लोगों को दिखाई नहीं देती: आरएसएस प्रमुख
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि भारत के पास अपनी प्राण शक्ति है, लेकिन यह कई लोगों को दिखाई नहीं देती क्योंकि उनकी…