भोपाल । चैत्र नवरात्र इस बार कोरोना संक्रमण के प्रतिबंध के बिना ही मनाई जाएगी। जिसको लेकर भक्तों में उत्साह देखने को मिल रहा है। मंदिरों में भीड़ पर कोई नियंत्रण नहीं रखा गया है। श्रद्धालु पूरे समय मंदिर पहुंचकर मां की पूजा अर्चना कर सकते हैं। चैत्र नवरात्र 2 अप्रेल से शुरू हो रहा है, जिसका समापन 10 अप्रेल को होगा। इस बार चैत्र नवरात्र पूरे 9 दिन की रहेगी। तिथियों में भी कोई उतार-चढ़ाव नहीं आएगा। नवरात्र के शुरू होने के साथ ही उत्सवों का सिलसिला शुरू हो जाएगा। घट स्थापना के साथ ही 9 दिनों के व्रत शुरू हो जाएंगे और देवी मंदिरों में श्रृद्धालुओं की भीड़ बढ़ेगी। दो अप्रैल को अश्व पर सवार होकर मां दुर्गा का आगमन होगा। इस बार सभी तिथि उदयाकालीन होने के चलते किसी भी तिथि का क्षय न होने से माता की आराधना पूरे नौ दिन होगी। कोरोना प्रतिबंधों से निजात मिलने के चलते मंदिर में अनुष्ठान बड़े स्तर पर आयोजित होने के साथ ही एक बार फिर मेले भी लगेंगे। ज्योतिर्विद् शिव प्रसाद तिवारी के अनुसार वासंतिक नवरात्र पर्व की समस्त तिथियां उदयातकालीन व पूर्ण होने से बिना वृद्धि एवं क्षय के पूरे नौ दिन की है। महाष्टमी का पूजन नौ व महानवमी का पूजन 10 अप्रैल को होगा।
माता के वाहनों का लाभ-हानि पर असर
पंडित नवल मिश्रा ने बताया कि ज्योतिष के अनुसार नवरात्र में कई विशेष योग बनेंगे। इनमें सर्वार्थ सिद्धि योग व रवि योग लक्ष्मी योग प्राप्ति के योग बना रहे है। कई प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिलेगी। नवरात्र में मां दुर्गा का वाहन अश्व यानी घोड़ा होगा। शास्त्रों के अनुसार शनिवार को नवरात्रि आरंभ होती है तो माता का वाहन अश्व होता है। मां दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं। उसके अनुसार ही साल भर होने वाली घटनाओं का भी अनुमान किया जाता है। इनमें कुछ वाहन शुभ फल देने वाले और कुछ अशुभ फल देने वाले होते हैं। देवी जब हाथी पर सवार होकर आती हैं तो पानी ज्यादा बरसता है। यदि घोड़े पर आती हैं तो युद्ध की आशंका बढ़ जाती है। देवी जब नौका पर आती हैं तो सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। डोली पर आती हैं तो महामारी का भय रहता है। इसका भी वर्णन देवी भागवत में किया गया। पंडितों के अनुसार जिस प्रकार से मां दुर्गा का आने का वाहन होता है उसी प्रकार माता के प्रस्थान का वाहन भी लाभ-हानि व शुभ अशुभ को दर्शाता है। देवी भागवत पुराण के अनुसार रविवार या सोमवार को देवी भैंसे की सवारी से जाती हैं तो देश में रोग और शोक बढ़ता है। शनिवार या मंगलवार को देवी मुर्गे पर सवार होती हैं इससे दुख और कष्ट की वृद्धि होती है। बुधवार या शुक्रवार को देवी हाथी पर जाती हैं जिससे बारिश ज्यादा होती है। गुरुवार को मां दुर्गा मनुष्य की सवारी से आती हैं इसे सुख और शांति की वृद्धि होती है।