मध्य प्रदेश में हुई सामान्य से 26 फीसदी अधिक बरसात

Uncategorized प्रदेश

भोपाल। इस साल मई-जून में लगातार भीषण गर्मी पड़ी और इस सीजन में बंगाल की खाड़ी में आमतौर पर बनने वाले सिस्टम से दोगुना सिस्टम लगातार बने। साथ ही लगातार कम दबाव के क्षेत्र बनने से मध्यप्रदेश में जुलाई के अंतिम सप्ताह से झमाझम बरसात का जो दौर शुरू हुआ वो आधे सितंबर तक जारी है। इसके चलते बुधवार को सुबह 8:30 बजे तक प्रदेश में 1076.2 मिमी. बरसात हो चुकी है, जोकि सामान्य (854.8 मिमी.) से 26 फीसदी अधिक है।

मौसम विज्ञानियों के मुताबिक वर्तमान में छह मानसूनी सिस्टम सक्रिय हैं। इनमें से चार मप्र में बने हुए हैं। इनके प्रभाव से प्रदेश के कई स्थानों पर रुक-रुक कर बौछारें पड़ने का सिलसिला जारी रहेगा। इसी क्रम में गुरुवार-शुक्रवार को इंदौर, भोपाल, उज्जैन, होशंगाबाद, खंडवा, खरगोन, झाबुआ, नरसिंहपुर, राजगढ़, विदिशा, छिंदवाड़ा में भारी बरसात होने की संभावना है।

मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक बुधवार को सुबह 8:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक होशंगाबाद में 121, उमरिया में 38, पचमढ़ी में 25, टीकमगढ़ में 12, रीवा में 9, भोपाल, नरसिंहपुर और सागर में 6, दमोह में 5, सतना में 3 मिमी. बरसात हुई।

ये छह सिस्टम हैं सक्रिय

1-वरिष्ठ मौसम विज्ञानी आरआर त्रिपाठी ने बताया कि एक कम दबाव का क्षेत्र उत्तर मध्यप्रदेश एवं उससे लगे दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश पर बना हुआ है।

2- कम दबाव के क्षेत्र के ऊपरी भाग में 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई चक्रवात बना हुआ है।

3- मानसून ट्रफ(द्रोणिका लाइन) बीकानेर, जयपुर से एमपी में सक्रिय कम दबाव के क्षेत्र से होकर अंबिकापुर, जमशेदपुर, दीघा से बंगाल की खाड़ी तक गया है।

4- एक अन्य द्रोणिका दक्षिण गुजरात से पश्चिम बंगाल के समुद्र तट तक बनी हुई है, जो कम दबाव के क्षेत्र से दक्षिण पश्चिम उत्तर प्रदेश एवं उत्तरी छत्तीसगढ़ एवं झारखंड के बीच से होकर जा रही है। 5- उत्तर-पूर्व अरब सागर एवं उससे लगे इलाके में हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात बना है।

5- इसके साथ ही एक अन्य चक्रवात पश्चिम बंगाल से लगे इलाके में बना हुआ है।

सिस्टम अधिक आए

मौसम विज्ञानी और वेदर डाप्लर राडार के प्रभारी वेदप्रकाश ने बताया कि इस बार मई-जून माह में प्रदेश में भीषण गर्मी पड़ी थी। साथ ही श्रीगंगानगर क्षेत्र में रिकार्ड गर्मी पड़ने से मानसून के पहले वहां काफी शक्तिशाली हीट लो सिस्टम बना। इससे मानसून को जबरदस्त ऊर्जा मिली। इसके अलावा जुलाई के अंतिम सप्ताह के बाद बंगाल की खाड़ी से लगातार कम दबाव के क्षेत्र बनकर आगे बढ़ते रहे। कम दबाव के क्षेत्र अमूमन बरसात के सीजन में हर माह 2 या 3 आते हैं। लेकिन इस बार 6 या उससे अधिक कम दबाव के क्षेत्र बने। इससे बरसात का क्रम लगातार बना रहा। साथ ही बरसात का सिलसिला अभी भी जारी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *