तमिलनाडु में जाति संबंधी हिंसा से निपटने के लिए अलग कानून की मांग

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चेन्नई | तमिलनाडु अस्पृश्यता उन्मूलन मोर्चा (टीएनयूईएफ) ने कहा है कि राज्य में जाति संबंधी हिंसा के लिए एक अलग कानून जरूरी है। मोर्चा के राज्य महासचिव सैमुअल राज ने एक बयान में कहा कि जाति संबंधी हिंसा से निपटने के लिए यह आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि यह एक पुरानी मांग है और वे इसे दोहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय ने अनुसूचित जाति के युवक गोकुलराज की हत्या के दोषियों को तिहरा आजीवन कारावास की सजा का फैसला वकील बी. बी. मोहन के प्रयासों के कारण किया था न कि तमिलनाडु सरकार के किसी हस्तक्षेप से।

सैमुअल राज ने कहा कि अंतरजातीय जोड़ों की हत्याओं को रोकने के लिए एक अलग कानून बनाने और जोड़ों की सुरक्षा के लिए आठ सूत्रीय दिशानिर्देश के लिए 2016 में मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद राज्य सरकार ने कोई विशेष प्रकोष्ठ नहीं बनाया है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने टीएनयूईएफ द्वारा दायर एक रिट याचिका के जवाब में कहा था कि विशेष प्रकोष्ठ बनाए गए हैं और प्रत्येक जिले के प्रभारी अधिकारियों के फोन नंबर दिए गए हैं लेकिन कुछ भी नहीं हुआ है और अंतजार्तीय जोड़ों की हत्याएं बेरोकटोक जारी हैं।

टीएनयूईएफ महासचिव ने कहा कि सरकार द्वारा बनाए गए विशेष प्रकोष्ठों की शर्त पर दायर आरटीआई पर अधिकारियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

संगठन ने एक प्रस्ताव भी पारित किया, जिसमें तमिलनाडु सरकार से सीपीआई-एम के ए. सुंदरराजन द्वारा 2015 में पेश किए गए निजी सदस्यों के विधेयक ‘सम्मान और परंपरा के नाम पर हत्या, अपराध और मजबूरी की रोकथाम-2015’ पर ध्यान देने का आह्वान किया गया और साथ ही जाति के नाम पर होने वाली हत्याओं को रोकने के लिए एक कानून बनाने की मांग दोहराई।

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