जबलपुर। हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश में सहायक प्राध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया में दिव्यांग अभ्यर्थियों को दिए जाने वाले आरक्षण में पूर्व आदेश का पालन नहीं करने सम्बंधी उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी जताई है। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की युगलपीठ ने उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को ताकीद दी है कि आदेश का पालन करें अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
हाई कोर्ट ने 29 अप्रैल, 2020 को उच्च शिक्षा विभाग को आदेश दिए थे कि दिव्यांगों को कुल स्वीकृत पदों पर छह प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाए। इसके लिए सरकार को एक माह का समय दिया था। इस आदेश का पालन नहीं करने पर हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई। हाई कोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद एक सितंबर, 2021 को शासन को दो माह के भीतर आदेश का पालन करने कहा। ऐसा नहीं करके शासन ने उक्त आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर कर दी।
दिव्यांग संविदा प्राध्यापकों ने दायर की याचिकाएं :
इस मामले में करीब एक दर्जन से अधिक दिव्यांग संविदा प्राध्यापकों की ओर से याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाकर्ता शिवेन्द्र सिंह परिहार ने बताया कि 2017 में विभाग ने 3550 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें से बैकलॉग सहित दिव्यांगों के लिए 384 पद आरक्षित थे। बाद में सरकार ने बैकलाग पद समाप्त कर दिव्यांगों के लिए केवल 211 पद ही आरक्षित रखे। इसी को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
दिल्ली से आते हैं दिव्यांग अधिवक्ता :
परिहार ने अवगत कराया कि इस मामले में शुरू से अभी तक नई दिल्ली से वरिष्ठ अधिवक्ता एसके रुंगटा पैरवी करने आ रहे हैं, जो कि स्वयं दृष्टिबाधित दिव्यांग हैं। उन्होंने बताया कि वरिष्ठ अधिवक्ता ने कभी भी पैरवी के लिए कोई फीस नहीं ली। कोरोना के दौरान भी वे हमेशा आनलाइन जुड़ते थे।