भोपाल । ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति ग्रह का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि मीन और धनु बृहस्पति की राशि है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि सूर्य के मीन राशि में 14 व 15 मार्च मध्य रात्रि 12:15 बजे प्रवेश करेगा, जिससे मीन संक्रांति कहलाएगी। सूर्य के मीन में प्रवेश के कारण सूर्य के प्रभाव से बृहस्पति की सक्रियता कम हो जाती है। इसलिए इस समय को खरमास या मलमास के नाम से जाना जाता है। यह साल में दो बार आता है, जब सूर्य धनु में प्रवेश करता है और मीन में राशि परिवर्तन करता है तब खरमास या मलमास कहलाता है।
मीन संक्रांति हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार माना जाता है। मीन संक्रांति को साल के आखिरी माह की संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह साल का आखिरी माह होता है।
मीन संक्रांति का महत्व
मीन संक्रांति का शास्त्रों में बड़ा महत्व बताया जाता है। मीन संक्रांति से सूरज की गति उत्तरायण की तरफ बढ़ रही होती है। उत्तरायण काल में सूरज उत्तर दिशा की ओर उदय होता दिखाई देता है। उसमें दिन का समय बढ़ जाता है और रातें छोटी हो जाती हैं। साथ ही प्रकृति में नया जीवन शुरू हो जाता है। इस समय वातावरण और हवा भी शुद्ध हो जाती है। ऐसे में देव उपासना, योग, ध्यान, पूजा, तन, मन और बुद्धि को पुष्ट करते हैं। इस समय रातें छोटी होने के कारण नकारात्मक शक्तियों में भी कमी आ जाती है और दिन में ऊर्जा प्राप्त होती है।
मीन संक्रांति पर दान व पूजा का महत्व
मीन संक्रांति के शुभ दिन पर विशेष चीजों का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। ज्यादातर इस दिन को दिव्य आशीर्वाद को ग्रहण करने का दिन माना जाता है। मीन संक्रांति के दिन दान पुण्य करने के लिए बहुत शुभ दिन माना जाता है। मीन संक्रांति के दिन ब्राह्मण और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र आदि का दान दिया जाता है। मीन संक्रांति के दिन भूमि का दान करने से अत्यंत सुख समृद्धि व वृद्धि होती है। इसलिए मीन संक्रांति के दिन दान करने का विशेष महत्व माना जाता है। मीन संक्रांति के दिन आराध्य देवी देवता की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्य देवता को अघ्र्य दिया जाता है। मीन संक्रांति के दिन तिल, वस्त्र और अनाज का दान करना चाहिए है। साथ ही इस दिन गाय को चारा खिलाना शुभ माना जाता है।