सीहोर: सीहोर के नजदीक हेमा चितवलिया गांव स्थित कुबरेश्वर महादेव धाम में सोमवार से शुरू हुआ 7 दिवसीय शिव महापुराण एवं रुद्राक्ष महोत्सव स्थगित कर दिया गया है। कार्यक्रम कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने आयोजित किया था, दावा किया गया था कि कार्यक्रम के दौरान 7 दिन में करीब 15 लाख श्रद्धालु आएंगे। पहले ही दिन लाखों श्रद्धालुओं के आने के कारण हालात बिगड़ गए। इंदौर-भोपाल स्टेट हाईवे करीब 6 घंटे तक जाम रहा। हाईवे पर कई किलोमीटर तक वाहनों की कतारें लग गई। लोगों की परेशानी को देखते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कार्यक्रम स्थगित करने की घोषणा कर दी। इस दौरान वो भावुक होकर रो पड़े। भक्तों के भी आंसू छलक आए। दरअसल ट्रैफिक व्यवस्था पुलिस और प्रशासन को मिलकर संभालना था। लेकिन वो इसे हैंडल करने में नाकाम रहा। साथ ही उनका खुफिया तंत्र भी पूरी तरह फेल रहा। इंदौर-भोपाल स्टेट हाईवे फोरलेन होने के बावजूद यहां लंबा जाम लग गया। इससे भीड़ का अंदाजा लगाया जा सकता है।
रुद्राक्ष का महत्व बताया, फिर स्थगित करने की घोषणा
सोमवार की सुबह महोत्सव के पहले दिन पूर्ण विधि-विधान से रुद्राक्षों का अभिषेक किया गया और उसके पश्चात दोपहर 1 बजे शिव महापुराण का आयोजन किया गया था। इस दौरान पंडित मिश्रा ने कहा कि कहते हैं कि गुलाब के फूल में सुन्दरता और कांटे दोनों होते हैं। पर लोग कांटों की कहां परवाह करते हैं, गुलाब के लिए।
इसी तरह प्यार में भी दुख-तकलीफ और खुशी दोनों होते है, लेकिन खुशी का एहसास इतना होता है कि लोग दुख-तकलीफों की परवाह नहीं करते। इसके बाद व्यास गादी पर बैठे मिश्रा ने आयाेजन निरस्त करने की घोषणा की। इस दाैरान वे राे पड़े, यह देख वहां मौजूद लाखों श्रद्धालुओं ने हाथ हिलाकर मना किया और फफक पड़े। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की, जो जहां है, वहीं से वापस अपने घर लौट जाए। रुद्राक्ष लोगों के घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था विठलेश सेवा समिति करेगी।
एक दिन पहले ही लॉज और होटल हो गए थे फुल
सोमवार सुबह रुद्राक्ष महोत्सव के शुरू होते ही लाखों की संख्या में श्रद्धालु आयोजन स्थल पर पहुंचने लगे थे। देखते ही देखते सुबह 11 बजे तक स्टेट हाईवे पर जाम के हालात बन गए। आयोजन स्थल पर भीड़ जमा होने के कारण कई किलोमीटर तक वाहनों की कतार लग गई। आयोजन के एक दिन पहले ही शहर के होटल, लाॅज और धर्मशालाएं फुल हो चुकी थी। हालात यह बने की मैरिज गार्डन सहित लोगों के घरों में श्रद्धालुओं को ठहरने की व्यवस्था की गई। इधर भीड़ के कारण स्टेट हाईवे जाम होने के बाद स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए कलेक्टर और एसपी को मोर्चा संभाला।
कलेक्टर, एसपी ने की पंडितजी से बात
कलेक्टर और एसपी ने कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा से भी बात की। हालात को देखते हुए पंडित मिश्रा ने शिव पुराण और रुद्राक्ष महोत्सव को स्थगित करने की घोषणा आयोजन स्थल से ही कर दी। उन्होंने सभी से घर लौटने का आग्रह करते हुए कथा ऑनलाइन श्रवण करने की अपील की। सीहोर कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर का कहना है कि स्थल पर इतनी बड़ी भीड़ आएगी, इस बात की सूचना प्रशासन को नहीं दी गई थी।
जाम में फंस गए थे मंत्री, कांग्रेस ने लगाया बड़ा आरोप
सीहोर में उमड़ी भीड़ के कारण एक मंत्री का काफिला भी जाम में फंस गया था। कांग्रेस का आरोप लगाया कि आयोजन को असफल बनाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने पं. मिश्रा पर इतना अधिक दबाव बनाया कि उन्होंने व्यास गादी से पहले दिन की कथा के दौरान बिलखते हुए भारी मन से कार्यक्रम स्थगित करने की घोषणा की। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि जिले के प्रशासनिक अधिकारियों और भाजपा सरकार के मंत्रियों ने कार्यक्रम को स्थगित करवाकर हिन्दू धर्म और श्रद्धालुओं की आस्थाओं का अपमान किया है। कांग्रेस का आरोप है कि 15 दिन पहले से महोत्सव की तैयारी की जा रही थी प्रशासन भी अवगत था कि महोत्सव के दौरान 10 से 15 लाख श्रद्धालु आ सकते हैं। लेकिन प्रशासन ने इसके लिए तैयारी नहीं की।
कथा के दौरान यह कहा…
पं. मिश्रा ने कहा – जगत के पालनकर्ता भगवान शिव का मनन करें, जन कल्याण से जुड़े, भगवान शिव आदिदेव, देवों के देव है, महादेव है। सभी देवताओं में वे सर्वोच्च है, महानतम है, दुखों को हरने वाले है। रुद्राक्ष को हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसका संबंध भगवान शिव से है। हिंदू धर्म के मानने वाले इसकी पूजा भी करते हैं। जानकारों की मानें, तो रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यह बहुत ही लाभकारी माना गया है, परंतु इसे धारण करने से पहले आपको इसके विषय में जान लेना चाहिए। रुद्राक्ष कई तरह के होते हैं, सभी का प्रभाव अलग-अलग होता है।
हम भाग्य के अधीन नहीं हैं, बल्कि स्वयं भाग्य के निर्माता हैं
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हम भाग्य के अधीन नहीं हैं, बल्कि स्वयं भाग्य के निर्माता हैं। भाग्य हमारे कर्मों का वह हिस्सा है जो हमारे भावी जीवन का निर्माता भी बनता है और नियंत्रक भी होता है। कर्म जानबूझकर किया गया हो या अनजाने, उसका फल कर्ता को भोगना ही पड़ता है। संचित कर्म फल ही भाग्य कहलाता है। मेहनत करने के बाद ही हमें सफलता मिलती है। इसलिए जब हम कोई कष्ट उठाते हैं उसी के बाद हमें सुख प्राप्त होता है। यदि हम कोई मेहनत ही ना करें और हमें उस सुख की प्राप्ति हो जाए तो उस सुख से हमें शांति नहीं मिलती।