कुंडलपुर पंचकल्याणक महोत्सव:बड़े बाबा के वस्त्रों-आभूषण की लगी बोली, भक्तों ने 2 करोड़ 17 लाख में खरीदे

दमोह मध्यप्रदेश

दमोह। प्रसिद्ध जैन तीर्थ क्षेत्र कुंडलपुर में जैन धर्म के सबसे प्रतिष्ठित संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने भारत के संविधान में धर्म निरपेक्ष शब्द को हटाकर धर्म सापेक्ष करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्र की रक्षा और उन्नति धर्म से विमुख होकर कैसे हो सकती है? महोत्सव में मंगलवार को केंद्रीय विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत एवं मंत्री तुलसी सिलावट दर्शन के लिए पहुंचे. साथ ही एक लाख श्रद्धालु महोत्सव में शामिल हुए.

Kundalpur Panchkalyanak Mahotsav

कुंडलपुर पंचकल्याणक महोत्सव में धार्मिक अनुष्ठान

महोत्सव में धार्मिक अनुष्ठान
कुंडलपुर पंचकल्याणक महोत्सव में मंगलवार सुबह से प्रतिष्ठाचार्य विनय भैया के निर्देशन में धार्मिक अनुष्ठान शुरू हुए. भगवान के अभिषेक, शांतिधारा व नित्य पूजन के बाद आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज की पूजा की गई. इसके बाद मुनि आदिसागर को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ. आचार्यश्री के संघस्थ मुनियों ने लगभग 2000 प्रतिमाओं को सूर्यमंत्र देकर उनकी प्राण प्रतिष्ठा की. कुंडलपुर के बड़े बाबा मंदिर में विराजमान नवीन प्रतिमाओं को भी सूर्यमंत्र दिया गया.

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कुंडलपुर पंचकल्याणक महोत्सव में श्रद्धालुओं की भीड़

भगवान के वस्त्र-आभूषण लेने मची होड़
पंचकल्याणक में भगवान की प्रतिमाओं को पहनाये गये वस्त्र व सोने के आभूषण लेने भक्तों में होड़ मच गई. मूल विधि नायक भगवान के वस्त्र-आभूषण की बोली 2 करोड़ 17 लाख में लगी. बता दें कि दस दिवसीय कुंडलपुर महोत्सव का समापन बुधवार को विशाल रथयात्रा फेरी के साथ होगा. फेरी के लिये देशभर से 27 रथ कुंडलपुर पहुंचकर चुके हैं. बुधवार दोपहर इन रथों पर भगवान को विराजमान कर मुख्य पंडाल की सात फेरियां लगाई जाएंगीं.

धर्म की दी गई गलत परिभाषा
कुंडलपुर पंचकल्याणक महोत्सव में भगवान आदिनाथ का समोशरन सजाया गया था. इस समोशरन में आचार्य श्री अपने निर्यापक शिष्यों के साथ विराजमान हुए.समोशरन में भगवान की देशना (धर्म उपदेश) के रूप में आचार्यश्री ने मंगल प्रवचन देते हुए कहा कि धर्म की विदेशी परिभाषा को स्वीकार करते हुए भारत को धर्म निरपेक्ष राष्ट्र कहा गया, यह बिल्कुल गलत है. धर्म का सही अर्थ समझा ही नहीं गया. धर्म हमारी आत्मा को पवित्र बनाता है. भारत की संस्कृति रही है कि धर्म पर चलने वाला राजा ही प्रजा को सुखी रख सकता है. धर्म से विमुख होकर जनता का हित कैसे हो सकता है? भारत के राजनेताओं को इस बारे में सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में रहकर धर्म निरपेक्ष की बात करना, बिल्कुल गलत है. उन्होंने कहा कि मेरा यह संदेश केन्द्र सरकार तक पहुंचना चाहिए.

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