उज्जैन। 2008 सीरियल ब्लास्ट कांड में कोर्ट ने 38 दोषियों को सजा सुना दी है. इनमें एमपी का सफदर नागौरी भी थी. सफदर नागौरी सिमी सरगना का मध्य प्रदेश अध्यक्ष था. अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट कांड में सफदर नागौरी भी शामिल था, जिसे पुलिस ने इंदौर से गिरफ्तार किया था. सफदर नागौरी बेहद खुंखार इंसान था, जिसने पत्रकारिता करते वक्त ही आपत्तिजनक किताब लिख दी थी, जिससे काफी बवाल हुआ.
आइये जानते हैं सफदर नागौरी के बारे में.
विक्रम यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में की पोस्ट ग्रेजुएट
अहमदाबाद ब्लास्ट मामले में फांसी की सजा पाने वाले मुख्य सरगना सफदर नागौरी उज्जैन से 50 किलोमीटर दूर महिदपुर में सिमी का सरगना था. सफदर नागौरी के पिता उज्जैन क्राइम ब्रांच में थे. गहिरूद्दीन नागौरी सन् 2005 में सब इंस्पेक्टर के पद पर रिटायर हुए. सफदर नागौरी ने स्कूल की पढ़ाई के बाद सन 1999 में उज्जैन के विक्रम यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट किया.
कॉलेज में ही जुड़ गया था सिमी सरगना से
सफदर नागौरी ने पत्रकारिता की पढ़ाई करते समय एक किताब लिखी थी. उस किताब का नाम था “बर्फ की आग कैसे बुझे” . सफदर नागौरी ने पत्रकारिता करते समय इस किताब का प्रेजेंटेशन दिखाया, तो यूनिवर्सिटी में हड़कंप मच गया था. सफदर नागौरी पढ़ाई के दौरान ही सिमी संगठन से जुड़ गया. सिमी ने नागौरी को मध्य प्रदेश का अध्यक्ष भी बना दिया था. वही कमरुद्दीन को भी आंध्र प्रदेश में सिमी संगठन की जिम्मेदारी दी गई थी.
अहमदाबाद ब्लास्ट का आरोपी है सफदर
उज्जैन 26 जुलाई 2008 में 21 जगह पर अहमदाबाद में सीरियल ब्लास्ट हुए. इनमें 56 लोगों की मौत हुई थी. इस ब्लास्ट में 38 दोषियों में से एक सफदर नागौरी भी था. इंदौर के संयोगितागंज पुलिस ने सफदर नागौरी को गिरफ्तार किया था. सिमी के छह आतंकी भोपाल जेल में बंद हैं.
‘बर्फ की आग कब बुझेगी’ किताब में क्या था ?
सफदर नागौरी को उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में फाइनल इयर में उर्दू में पत्रकारिता का आयाम दिया था. दो दशक पहले सफदर बर्फ की आग कब बुझेगी नामक किताब लिखकर सुर्खियों में आ गया. यह किताब तत्कालीन कुलपति रहे प्रोफेसर राम राजेश मिश्र के अंडर पीएचडी करने दौरान लिखी गयी थी. किताब में कश्मीरी मुसलमानों को लेकर बात लिखी गयी थी. इसमें कश्मीर को हनीमून डेस्टिनेशन बताते हुए आजाद करने जैसी कई विवादित बातें लिखी गयी थीं. जब किताब को लेकर विवाद ज्यादा बढ़ गया तो सफदर की पीएचडी रद कर दी गयी थी.
1999 में कंप्लीट की पढ़ाई
सफदर नागौरी ने 1999 में विक्रम विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई कंप्लीट की. इसके बाद सफदर नागौरी सिमी संगठन से जुड़ गया. सफदर नागौरी को स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया ने प्रदेश का अध्यक्ष बनाया था. वहीं भाई कमरुद्दीन को आंध्र प्रदेश की जिम्मेदारी सिमी संगठन ने दी थी. सरकार ने सन 2001 में सिमी संगठन पर बैन लगा दिया था.
महाकाल थाना में दर्ज हैं कई संगीन मामले
उज्जैन में 2005 से 2007 के बीच उज्जैन और आसपास के इलाकों में मस्जिदों और अन्य जगहों पर तकरीर की थी. विवादित पोस्टर चिपकाये थे. इस दौरान एक बैठक भी आयोजित की गई थी, जिसमें देश भर में विस्फोट करके अलकायदा जैसा नाम करना चाहते थे. उन्हेल के पास झोपड़ी बनाकर साजिश रची गयी. इसमें एहतेशाम, आमिल परवेज और सफदर नागौरी शामिल थे. सफदर ने 2011 आतंकी गतिविधियों के लिए ट्रेनिंग कैंप चलाया था. इसे लेकर सजा भी हुई. इस मामले में जब सजा में माफी दी गयी, तो खूब बवाल मचा. बाद में सरकार को सजा में दी गई छूट को वापस लेना पड़ा.
उज्जैन के ही रहने वाले हैं सफदर, कमरुद्दीन और आमिर
मौत की सजा पाने वाले सफदर नागौरी, कमरुद्दीन और आमिर परवेज उन्हेल का रहने वाले थे, जो उज्जैन से 35 किलोमीटर दूर है. सफदर नागौरी, कमरुद्दीन और आमिर परवेज को अहमदाबाद पुलिस उज्जैन कोर्ट में पेशी के लिए लेकर आती थी. कई बार सफदर नागौरी के उज्जैन आने पर उसके परिजन कोर्ट परिसर में आते थे. पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच सफदर नागौरी, कमरुद्दीन और आमिर परवेज को पेशी कराकर अहमदाबाद पुलिस तत्काल साबरमती जेल ले जाती थी. नागौरी के अन्य पांच आतंकी भोपाल जेल में बंद हैं.
उज्जैन पुलिस ने जब इन आतंकियों को पकड़ा, तो इनके पास से कई भड़काऊ किताबें और सिमी से जुड़ी सामग्री मिली थी. जब-जब कोई आतंकी घटना घटित होती है, तब-तब पड़ोसी राज्यों की पुलिस उज्जैन पहुंच जाती है. वहां सिमी के सरगना को लेकर पूछताछ की जाती है. यही कारण है कि उज्जैन हमेशा अलर्ट पर रहता है. यहां आईबी और सीआईडी की टीम हमेशा नागौरी मोहल्ला और मुस्लिम मोहल्लों में अपनी नजर बनाए रखते हैं. ताकि कोई भी ऐसा संदिग्ध नजर आए, तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जा सके.