लखनऊ: कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में चल रहे हिजाब विवाद के बीच देश में मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी इसमें शामिल हो गया है. विवाद में कूदे बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब से रोकने की पृष्ठभूमि में कहा कि कर्नाटक दक्षिण का एक महत्वपूर्ण राज्य है और धार्मिक सद्भाव उसकी पहचान है, लेकिन दुखद कि यहां भी राष्ट्रीय एकता को तितर-बितर करने का प्रयास किया जा रहा है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव की ओर से मंगलवार रात जारी बयान में कहा गया कि उडुपी और कर्नाटक के कुछ दूसरे क्षेत्रों के कुछ स्कूलों में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब से रोकना षड्यंत्र का हिस्सा है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसकी कड़ी निंदा करता है. उन्होंने कहा कि वेशभूषा का सम्बंध निजी पसंद से है और यह मामला व्यक्तिगत स्वतंत्रता की श्रेणी में आता है, इसलिए इसको विषय बनाकर समाज में कलह उत्पन्न करना उचित नहीं है.
मौलाना ने अपने बयान में कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह अपनी पसंद की वेशभूषा धारण करे. भारत में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि कोई व्यक्ति या समूह अपनी धार्मिक पहचान को उजागर न करे. हां यह बात अवश्य धर्मनिरपेक्षता में शामिल है कि सरकार किसी धर्म विशेष की पहचान को सभी नागरिकों पर उसकी इच्छा के विपरीत न थोपे. इसलिए कर्नाटक सरकार को चाहिए कि दूसरे सरकारी स्कूलों में न किसी विशेष वेशभूषा को पहनने का आदेश दे और न किसी समूह को उसकी पसंद की वेशभूषा धारण करने से रोके.
गौरतलब है कि सरकारी प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज, कुंडापुरा के परिसर में सोमवार को हिजाब पहनीं छात्राओं को परिसर में प्रवेश की अनुमति दे दी गई है. हालांकि, उन्हें उनकी कक्षाओं में पढ़ने की अनुमति नहीं दी गई, ताकि फिर से किसी प्रकार का नया विवाद न हो. वहीं, दूसरी ओर इस विवाद में पर्सनल लॉ बोर्ड भी कूद गया है और बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है.