नई दिल्ली : संसद में बजट सत्र के पांचवें दिन लोक सभा की मर्यादा भंग होने का प्रकरण सामने आया. लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में कुछ ऐसे व्यवहार देखने को मिले हैं, जिससे संसदीय मर्यादा को ठेस पहुंची है. स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि लोक सभा स्पीकर के आसन पर स्पीकर की गैरमौजूदगी में जो भी पीठासीन सभापति होते हैं, उन्हें भी स्पीकर के समान अधिकार हासिल हैं.
स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि स्पीकर के आसन पर टिप्पणी किया जाना संसदीय मर्यादा के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही के बाद मीडिया या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर स्पीकर को लेकर टिप्पणी किए जाने की बात सामने आई है. उन्होंने कहा कि एक सांसद ने उन्हें पत्र लिखा और कहा, उनके वक्तव्य के समय सामने से दूसरे सांसद के गुजरने की घटना हुई जो संसदीय परिपाटी के अनुकूल नहीं है.
स्पीकर ओम बिरला के दुख जाहिर करने के बाद कई राजनीतिक दलों के सांसदों ने संसदीय मर्यादा भंग होने पर अफसोस जाहिर किया. इन सांसदों में वरिष्ठ सांसद फारूक अब्दुल्ला, सुप्रिया सुले, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, शिवसेना सांसद अरविंद सावंत, बसपा सांसद रितेश पांडेय, तेलंगाना से निर्वाचित सांसद नामा नागेश्वर राव और तमिलनाडु से निर्वाचित सांसद डी राजा शामिल रहे. सभी सांसदों ने एकमत होकर कहा कि भविष्य में कभी ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए, जिससे संसदीय मर्यादा टूटे. सांसदों ने स्पीकर ओम बिरला को आश्वस्त किया कि संसदीय नियमावली का पालन किया जाएगा.
क्या था मामला
समझा जाता है कि लोकसभा अध्यक्ष का इशारा तृणमूल कांग्रेस सदस्य महुआ मोइत्रा की ओर था. मोइत्रा ने गुरुवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए आसन द्वारा किसी अन्य सदस्य का नाम पुकारे जाने के बाद भी अपनी बात जारी रखी. पीठासीन सभापति रमा देवी के बार-बार बैठने के आग्रह के बाद भी तृणमूल कांग्रेस सदस्य मोइत्रा ने अपनी बात जारी रखी. इसके कारण आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर को कहना पड़ा था कि जब वह इस तरह से बोलना जारी रखेंगी, तब मैं कैसे बोल सकता हूं, इनकी बात पूरी होने पर ही मेरा नाम पुकारें. उन्होंने कहा था कि सदन में व्यवस्था बननी चाहिए ताकि वह अपनी बात रख सकें.
वहीं, मोइत्रा ने बाद में ट्वीट किया था, ‘लोकसभा अध्यक्ष ने मुझे 13 मिनट का समय दिया था, लेकिन जब उनके कक्ष में उनके सामने यह बात रखी, तो उन्होंने कहा कि वह उस समय आसन पर नहीं थे, इसलिये उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.’
मोइत्रा ने कहा, ‘इस बारे में आगे पूछने पर उन्होंने (बिरला ने) कहा कि यह तो उनका बड़प्पन है कि 13 मिनट की अनुमत दी. यह अविश्वसनीय है.’
तृणमूल कांग्रेस सांसद मोइत्रा ने अपने ट्वीट में यह भी कहा था, ‘मैं गुस्से या प्यार से बोलूं, इस बारे में बीच में टोककर उपदेश देने वाला आसन कौन होता है ? यह आपका काम नहीं है, मैडम. आप मुझे नियमों के बारे में ही टोक सकती हैं. आप लोकसभा के लिए नैतिक शिक्षा की शिक्षक नहीं हैं.’
समझा जा रहा है कि तृणमूल सांसद ने यह टिप्पणी पीठासीन सभापति रमा देवी के लिए कीं, जो मोइत्रा के भाषण के समय संदन की कार्यवाही संचालित कर रही थीं. मोइत्रा ने इस घटना के बारे में पत्रकारों से बातचीत का वीडियो भी ट्वीट किया.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘सदन के अंदर और बाहर अध्यक्ष पीठ पर टिप्पणी करना सदन की गरिमा और मर्यादा का उल्लंघन है. सदन की एक उच्च कोटि की मर्यादा है जिसका सम्मान सभी माननीय सदस्य करते हैं. आसन का प्रयास होता है कि सदन निष्पक्ष रूप से नियम और प्रक्रियाओं से संचालित हो.’