भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायतों को वित्तीय अधिकार देने के बाद अब राज्य सरकार ने पंचायतों में होने वाली गड़बड़ियों पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाया है. सरकार अब हर जिला पंचायत में लोकपाल की तैनाती करने जा रही है. यह लोकपाल पंचायतों में होने वाले मनरेगा कार्यो, पंचायतों की निधि के उपयोग, मजदूरों के भुगतान और सोशल ऑडिट सहित बीस बिंदुओं की समीक्षा और शिकायतों का निराकरण करेगा. कांग्रेस ने इसे लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस का कहना है कि लोकपाल की नियुक्ति करने को लेकर सरकार मानती है भ्रष्टाचार पंचायतों तक पहुंच चुका है. दूसरी तरफ सरकार ने तमाम जांच एजेंसियों के हाथ बांध रखे हैं.
क्यों पड़ी लोकपाल की जरूरत
राज्य सरकार की तमाम योजनाओं के क्रियान्वयन की आखिरी ईकाई पंचायतों को ही माना जाता है. निचले तबके तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने की जिम्मेदारी पंचायतों की ही होती है, लेकिन पंचायतों में लगातार भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं. साल 2021 में लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू द्वारा की गई कार्रवाईयों में राजस्व, पंचायत, ग्रामीण विकास विभाग के ही सबसे ज्यादा भृष्ट अधिकारी और कर्मचारी पकड़े गए हैं. जिनमें एसडीएम से लेकर पटवारी और पंचायत सचिव तक शामिल रहे हैं. दूसरी तरफ मनरेगा में भी गड़बड़ियों की काफी शिकायतें सामने आती रही हैं. यही वजह है कि राज्य सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत पहले से बने नियमों को खत्म कर नए नियम बनाना प्रस्तावित किया है. जिसके लिए सरकार ने एक माह में दावे आपत्तियां बुलाई हैं. इसके बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा.
22 मामलों में निगरानी करेगा लोकपाल
राज्य सरकार सभी जिलों में मनरेगा लोकपाल की तैनाती करेगी. इसमें मनरेगा गारंटी के अधीन कम खर्च वाले छोटे जिलों को एक साथ जोड़ा जाएगा. लोकपाल की नियुक्ति पर वे 22 विषयों से जुड़ी शिकायतों पर नजर रखेंगे. इनमें ग्राम सभा, परिवारों के पंजीकरण, जाॅब कार्ड जारी किए जाने, जाॅब की मांग, किसी भी काम को करने की तारीख , मंजूरी जारी करने, मजदूरी के भुगतान, बेरोजगारी भत्ते का भुगतान, लिंग के आधार पर भेदभाव, कार्यस्थल पर सुविधाएं, कार्य की गुणवत्ता, निधियों का उपयोग आदि की निगरानी करेंगे और शिकायत मिलने पर कार्रवाई भी कर सकेंगे. शिकायत मिलने पर 15 दिन में उनका निपटारा करना आवश्यक होगा.
निगरानी समिति रखेगी नजर
लोकपाल द्वारा लिए गए निर्णयो पर कार्रवाई की निगरानी के लिए नोडल एजेंसी में एक सेटअप तैयार किया जाएगा. जो निर्णय पर कार्रवाई न होने पर संबंधित विभाग के अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी कर सकेगा. इसे लोकपाल द्वारा लिए गए निर्णयों और कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपी जाएगी. राज्य सरकार लोकापाल के कार्यालय के कार्यों की समय समय पर समीक्षा करेगी. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव के मुताबिक लोकपाल की तैनाती को लेकर नियम जारी कर दिए गए हैं. दावे आपत्ति के बाद इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
कांग्रेस ने बताया दिखावा
राज्य सरकार के मनरेगा लोकपाल की नियुक्ति को कांग्रेस ने दिखावा करार दिया है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता के मुताबिक शिवराज सरकार ने तमाम जांच एजेंसियों के हाथ बांध रखे हैं. इन ऐजेंसियों को भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए भी विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम कर रही है और दिखावे के लिए लोकपाल की नियुक्ति करने जैसा कदम उठा रही है.