केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी. मोदी सरकार से पहले की ही तरह इस बार के बजट में रियल एस्टेट इंडस्ट्री को काफी उम्मीदें हैं. रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े एक्सपर्ट्स इंडस्ट्री को बूस्ट करने के लिए तमाम उम्मीदें लगाए हुए हैं. उन्हें उम्मीद है कि वित्त मंत्री का बजट रियल एस्टेट के पक्ष में रहेगा. जिसमें डेवलपर्स के साथ होमबायर्स को टैक्स छूट के साथ कई रियायतें शामिल होंगी.
रियल एस्टेट इंडस्ट्री को बूस्ट करने वाला हो बजट
सेंट्रल पार्क के सीएमडी अमरजीत बख्शी ने कहा कि जैसा कि सरकार महामारी के प्रभाव को कम करने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए पूरा प्रयास कर रही है. अब यहां उपभोक्ताओं की मांग को प्रोत्साहित और रियल्टी क्षेत्र के लिए मदद की आवश्यकता है. 2023 में मांग को और बढ़ाने के लिए अतिरिक्त उपायों की जरुरत है. इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री स्टेटस की मांग के अलावा निर्माणाधीन परियोजनाओं के लिए ऋण उपलब्धता, खरीदारों को अधिक छूट और एसडब्ल्यूएएमआइएच पर ज्यादा ध्यान देना होगा. हमें उम्मीद है कि केंद्र और राज्य सरकारें जीएसटी, सर्कल रेट और स्टांप ड्यूटी को कम करने पर काम करेंगी.
हाउसिंग डॉटकॉम, मकान डॉटकॉम एवं प्रॉपटाइगर डॉटकॉम के ग्रुप सीईओ ध्रुव अग्रवाल ने कहा कि कोविड महामारी की पहली और दूसरी लहर के बाद घरों की मांग में जोरदार उछाल आया, जिसका मुख्य कारण होम लोन पर ब्याज दरों का ऐतिहासिक रूप से कम होना था. हालांकि, यह क्षेत्र अब भी दो स्थाई समस्याओं जैसे बिना बिकी इन्वेंटरी और अटकी हुई परियोजनाओं से जूझ रहा है. कोरोनावायरस का नया संस्करण ऑमीक्रॉन, तीसरी लहर के रूप में इस क्षेत्र और अर्थव्यवस्था के लिए एक चुनौती के तौर पर उभरा है. इन स्थाई मुद्दों और नई चुनौतियों से निपटने के लिए रियल एस्टेट सेक्टर को आगामी बजट में सहयोग की आवश्यकता है.
सरकार द्वारा दिए जाने आले स्ट्रेस फंड एसडब्ल्यूएएमआइएच (SWAMIH) कोष को बढ़ाकर कम से कम 1 लाख करोड़ रुपये तक जाना चाहिए. इसके तहत अभी 25,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था है. यह अटकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने में मदद करेगा और निर्माणाधीन संपत्ति बाजार में उपभोक्ताओं के विश्वास को वापस लाएगा. भुगतान किए गए होम लोन के मूलधन पर और ब्याज दोनों के लिए सरकार को अधिक टैक्स प्रोत्साहन देना चाहिए. क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (सीएलएसएस) को ईडब्ल्यूएस-एलआईजी के लिए बढ़ाया जाना चाहिए और एमआईजी वर्ग के लिए पुनः पेश किया जाना चाहिए. सरकार ने रेंटल हाउसिंग को बढ़ावा देने के लिए कुछ साहसिक कदम उठाए हैं जैसे मॉडल टेनेंसी लॉ तैयार करना और अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स की शुरुआत. कार्यालय की संपत्ति की तुलना में आवासीय संपत्तियों के किराये में कम मुनाफा है. डेवलपर्स और संपत्ति खरीदारों को टैक्स प्रोत्साहन के माध्यम से इसकी भरपाई की जा सकती है.”
लंबे समय से मांग में गिरावट और कोविड के कारण लगे लॉकडाउन के बाद भारतीय रियल एस्टेट मार्केट तेजी से सुधार कर रहा है. ओमीक्रॉन के डर की व्यापक आशंकाओं के बावजूद, ये सेक्टर संकट से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है. ये कहना है अंकित कंसल का जो 360 रीयलटर्स के फाउंडर एंड एमडी है. उन्होंने कहा कि सरकार को महत्वपूर्ण और व्यापक नीतिगत सुधारों के माध्यम से आपूर्ति पक्ष की मदद करनी भी जरूरी है जैसे ब्याज सब्सिडी, प्रोजेक्ट से संबंधित मंजूरी के लिए तेज मैकेनिज्म और जीएसटी की दरों को कम करना. इसी तरह, मांग को बढ़ावा देने के लिए बजट में भी कर सब्सिडी में वृद्धि, स्टांप शुल्क को कम करने जैसे विवेकपूर्ण कदम उठाए जाने चाहिए. यह महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि सरकार के दीर्घकालिक लक्ष्य 5 ट्रिलियन यूएस डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारतीय रियल एस्टेट एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है.
व्हाइटलैंड कॉर्पोरेशन के सीएमडी नवदीप सरदाना का कहना है कि बजट 2022-23 से हमारी उम्मीदें रियल एस्टेट सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री का दर्जा दिए जाने से संबंधित है. इस दर्जे से कई प्रकार के टैक्स लाभ मिलेंगे, जो विदेशी और स्थानीय निवेश को बढ़ावा देने में मदद करेगा. अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से निवेश के लिए प्राप्त फण्ड में करो से छूट होगी, क्योंकि यह इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत होगा. यह डेवलपर को कम दर लोन भी उपलब्ध कराएगा, जो पहले ही बिना बिकी इन्वेंट्री और ऋण की उच्च लागत से प्रभावित है. निर्माणाधीन संपत्तियों के लिए जीएसटी छूट और हाउसिंग सेक्टर में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को प्रोत्साहन से दूरगामी लाभ होगा. हमें पूरी उम्मीद है कि आगामी बजट में इन सिफारिशों पर विचार किया जाएगा.
स्पेज़ ग्रुप के डायरेक्टर हरपाल सिंह चावला ने कहा कि बजट में कमर्शियल सेगमेंट पर भी फोकस किया जाना चाहिए, जिसमें विदेशी निवेश और एफडीआई को आकर्षित करने की क्षमता है. संपूर्ण रियल एस्टेट क्षेत्र को इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री का दर्जा देना सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे अधिक निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी. वित्त मंत्री को राजकोषीय विवेक से इस क्षेत्र की तत्काल आवश्यकता को संतुलित करना होगा. साथ ही, इस बजट में वर्तमान बचत सीमा को बढ़ाने का भी लक्ष्य होना चाहिए, ताकि युवा आबादी को अधिक खर्च करने की शक्ति मिल सके और वो रियल एस्टेट सेक्टर को निवेश के अवसर के तौर पर देख सके.