विदिशा। पूरे देश में चलित रामलीला में से विदिशा की ऐसी रामलीला है जो पिछले 121 सालों से चल रही है. इसमें देश के पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत शंकर दयाल शर्मा से लेकर वर्तमान में नोबल प्राइज से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी अभिनय कर चुके हैं. डॉक्टर, प्रोफेसर, वकील से लेकर शासकीय कर्मी, अधिकारी एवं समाजसेवी लगभग एक माह चलने वाली रामलीला में विभिन्न पात्रों का अभिनय करते हैं.
121 सालों से चलित रामलीला
विदिशा की 121 वर्ष प्राचीन ऐतिहासिक रामलीला में रावण वध की लीला सम्पन्न हो गई. जहां रामलीला मंच पर नहीं बल्कि मैदान में सम्पन्न होती है. रामलीला के पात्रों में कोई चिकित्सक है, तो कोई वकील, तो कोई शिक्षक, या कोई व्यवसायी जो बिना किसी शुल्क लिये अपने कामकाज छोड़कर रामलीला के आयोजन में तन-मन से जुटे रहते हैं. इनमें से कई लोग विदिशा के बाहर कार्यरत या निवासरत है, लेकिन वह रामलीला के लिए 14 जनवरी से रामलीला के समापन तक विदिशा में रहते हैं.
विदिशा की अनूठी रामलीला
विदिशा रामलीला की हर बात अनूठी है, जो परंपरागत पिछले 121 साल से निभाई जा रही है. यहां पात्रों का श्रृंगार प्राकृतिक संसाधनों से होता है. विदिशा के रामलीला में अनेक पात्र स्थाई रूप से अनेक वर्षों से अपनी भूमिका निभा रहे हैं. लेकिन यहां प्रमुख पात्रों राम,लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और सीता जी का चयन प्रतिवर्ष किया जाता है. यह श्रद्धा का ऐसा केंद्र है जिसपर प्रत्येक विदिशा वासी गर्व करता है. रामलीला के साथ ही यहां मेला लगता है जो ग्वालियर मेले के बाद प्रदेश में दूसरे नम्बर पर आता है. लेकिन पिछले 2 वर्षों से कोरोनाकाल के चलते यहां की रंगत फीकी है. इस साल तो मेला की अनुमति भी नहीं मिली.
1901 में हुई थी शुरूआत
रामलीला दर्शन समिति के प्रधान संचालक डॉ सुधांशु मिश्रा ने बताया कि रामलीला विदिशा का इतिहास सन 1901 से प्रारंभ होता है, जब पंडित विश्वनाथ शास्त्री ने रामलीला प्रारंभ की थी. इनके द्वारा चलित रामलीला की स्थापना हुई. चलित रामलीला पूरे भारत देश में दो ही जगह होती है एक रामनगर (यूपी), दूसरी विदिशा (एमपी) में 121वां वर्ष है. लेकिन वक्त के साथ काफी बदलाव हुए जो रामलीला छोटी थी, 10 दिनों के लिए प्रारंभ में होती थी वह समय के साथ भव्यता लेते हुए आज 27 दिनों की होती है. लेकिन कोविड के कारण इस वर्ष मात्र 18 दिन की रामलीला हुई.
हवा में उड़ते हैं राम भक्त हनुमान
आज इसमें आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाता है. यहां पर आप हनुमान जी को संजीवनी बूटी ले जाते हुए उड़ते हुए देखते हैं जो करीब 40 फीट ऊंचे और डेढ़ सौ मीटर लंबे रास्ते को तय करते हैं. वहीं गरुड़ जी महाराज आकाश से उतरते हुए देखते हैं, इसके अतिरिक्त अंगद, रावण संवाद में अंगद के हाइड्रोलिक चेयर का निर्माण हुआ है, 12 फीट तक ऊपर उठती है और अपने सिंहासन को रावण के सिंहासन के बराबर कर लेती है.