ग्वालियर: मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी में मचे घमासान के बीच पार्टी महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का नाम लिए बगैर कहा कि जो आरोप लगाए गए हैं, वह गंभीर है, और मुख्यमंत्री को दोनों पक्षों की बात सुननी चाहिए। सिंधिया से यहां संवाददाताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और वन मंत्री उमंग सिंघार के बीच पैदा हुए विवाद को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री को बैठकर इस विषय पर दोनों पक्षों की बात सुननी चाहिए, और समाधान निकालना चाहिए। बहुत मुश्किल और मेहनत से हम लोगों ने 15 साल कड़ी मेहनत कर कांग्रेस का शासन स्थापित किया है।अभी छह माह भी नहीं हुए और मतभेद उठ रहे हैं तो मुख्यमंत्री का दायित्व होता है कि दोनों पक्षों के साथ बैठकर सलाह-मशविरा करें और समाधान निकालें।”
सिंधिया से जब संवाददाताओं ने सिंघार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री सिंह पर लगाए गए आरोपों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, “आरोप गंभीर हैं और इस पर जरूर दोनों पक्षों को बैठाकर बात होनी चाहिए। सरकार को अपने दम और आधार पर चलना चाहिए, किसी का हस्तक्षेप सरकार में नहीं होना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा, “सरकार को स्वतंत्र होकर कार्य करना चाहिए। जो मुद्दे आए हैं, उस पर मुख्यमंत्री को मंत्री उमंग सिंघार की भी बात सुननी चाहिए और जो सत्य है उसपर भी कार्रवाई होनी चाहिए।”
ज्ञात हो कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मंत्रियों को पत्र लिखकर मुलाकात का समय मांगा था, जो वायरल हो गया था। इससे वन मंत्री सिंघार नाराज थे। इसके बाद उन्होंने दिग्विजय पर शराब कारोबारियों, अवैध खनन करने वालों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था। इस पर राज्य सरकार के जनसंपर्क मंत्री पी. सी. शर्मा ने सिंघार को आड़े हाथों लिया था।
मामले के तूल पकड़ने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हस्तक्षेप किया। मुख्यमंत्री से सिंघार की मंगलवार रात मुलाकात हुई।
सूत्रों के अनुसार, मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने सिंघार को हिदायत दी। सिंघार बुधवार दोपहर मीडिया के सामने आए और उन्होंने कहा कि उनकी “मुख्यमंत्री कमलनाथ व प्रदेश प्रभारी बावरिया से बात हो गई है। उनके सामने अपनी बात रख दी है, अब उन्हें कुछ नहीं कहना है।”