भोपाल। नवोदय स्कूल में कोरोना विस्फोट हुआ है. भोपाल के हुजूर तहसील में आने वाले नवोदय स्कूल के 61 बच्चे और टीचर कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. स्कूल के 61 बच्चे और 3 टीचर संक्रमित हैं. पिछले 11 दिनों में प्रदेश में 1700 से ज्यादा बच्चे कोविड पॉजिटिव पाए गए. जिसके बाद सरकार ने 31 जनवरी तक स्कूल बंद करने का फैसला लिया है. इस दौरान घरों में भी बच्चे संक्रमण से बचे रहें और सुरक्षित रहें। ज्यादातर बच्चे स्कूल में ही क्वॉरेंटाइन
हुजूर तहसील के एसडीएम आकाश श्रीवास्तव के मुताबिक 2 दिन पहले स्कूल की 3 टीचर संक्रमित पाई गई थीं. यह टीचर लगातार बच्चों के संपर्क में थीं और क्लास ले रही थी. एहतियात बरतते हुए जब इन टीचर के संपर्क में आए सभी बच्चों के टेस्ट कराए गए तो इनमें से 61 बच्चे पॉजिटिव पाए गए. एसडीएम के मुताबिक सभी बच्चे 7 वीं और 8 वीं क्लास हैं. बच्चों के परिजनों को इसकी सूचना दी गई. जिसके बाद इनमें से कुछ बच्चों को तो उनके परिजन अपने साथ ले गए हैं, जबकि कई बच्चों को स्कूल में ही क्वॉरेंटाइन किया गया है. एसडीएम ने बताया कि अच्छी बात यह है कि किसी भी बच्चे में कोरोना का कोई गंभीर सिम्टम्स नहीं है. सभी बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ हैं. स्टॉफ को बच्चों की लगातार निगरानी के निर्देश देने के साथ ही स्कूल को बंद करा दिया गया है। सामने आई स्कूल प्रशासन की लापरवाही इस मामले स्कूल प्रशासन की भी लापरवाही भी सामने आई है. नवोदय विद्यालय के 3 टीचर पिछले कुछ दिन से बीमार थे. बावजूद इसके वे क्लास ले रहे थे. सबसे पहले जीव विज्ञान की एक टीचर बीमार हुईं थी. जो वहीं स्कूल परिसर में ही रहती हैं. उनके परिवार का एक बच्चा भी बीमार था. जबकि टीचर लगातार प्रेक्टिकल करा रहीं थी और क्लासेस ले रहीं थीं।
राजधानी भोपाल के स्कूलों लगातार बच्चे कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं. पिछले दिनों भोपाल के दो निजी स्कूल के 25 से ज्यादा बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. ग्वालियर में भी सिंधिया स्कूल फोर्ट के 10 से ज्यादा कर्मचारी भी संक्रमित पाए गए हैं. जिसके बाद बच्चों का भी टेस्ट कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं. स्कूलों में लगातार सामने आ रहे पॉजिटिव केसों को देखते हुए राज्य सरकार ने 31 जनवरी तक सभी स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं.ऐसे रखें अपने बच्चों का ख्याल, जानिए पीडियाट्रिक्स की रायप्रदेश के बच्चों में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच भोपाल के चाइल्ड क्लीनिक में इलाज कराने पहुंच रहे बच्चों में 20 से 25 फीसदी से अधिक बच्चे कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं. ये कहना है कि भोपाल पीडियाट्रिक्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉक्टर जीके अग्रवाल का. उन्होंने बताया कि तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण का खतरा ज्यादा दिख रहा है, लेकिन घबराएं नहीं कुछ आसान से उपाय अपना कर बच्चों को संक्रमण से रखा जा सकता है.
डॉ अग्रवाल का कहना है कि 14 साल से कम उम्र के बच्चों का इम्युनिटी लेवल कम होता है, जिसके चलते वे संक्रमित हो रहे हैं. डॉक्टर अग्रवाल ने बताया कि पिछले एक हफ्ते में सभी चाइल्ड क्लीनिक में करीब 25 फीसदी बच्चे कोरोना संक्रमित पाए गए हैं.
– डॉक्टर कहते है कि इलाज के दौरान बच्चों में सर्दी-जुकाम, बुखार, हाथ-पैर में दर्द, उल्टी-दस्त जैसे लक्षण पाए जा रहे हैं. ये लक्षण सामान्य तौर पर फ्लू और वायरल इन्फेक्शन में भी होते हैं. यह कहना बहुत ही मुश्किल होता है कि किस बच्चे में कोरोना के लक्षण हैं या कोई अन्य बीमारी है. ऐसी स्थिति में तुरंत ही डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और कोरोना टेस्ट भी कराना चाहिए.
– 2 साल से अधिक उम्र के बच्चों को एन-5 मास्क लगाना चाहिए, जरूरत हो तो डबल मास्क का भी उपयोग किया जा सकता है. परिजनों और बच्चों को भी सामाजिक कार्यक्रमों, शादी-विवाह या भीड़ वाले इलाकों, मॉल और बाजार में ले जाने से बचना चाहिए.
– बच्चों को सर्दी-जुकाम, बुखार जैसे लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत ही पैरासिटामॉल दे देना चाहिए, साथ ही अपने डॉक्टर से सलाह लेकर आगे की दवाएं लेनी चाहिए. डॉक्टर कहते हैं तो तुरंत ही बच्चों का आरटीपीसीआर या एंटीजन टेस्ट कराया जा सकता है.
– डॉक्टर जीके अग्रवाल ने बताया कि बच्चों में फैल रहे कोरोना संक्रमण के चलते सरकार भी सतर्क है. अस्पतालों में पूरी व्यवस्थाएं की गई हैं. इसलिए सामान्य फ्लू के लक्षण दिखने पर पैनिक न करें डॉक्टर की सलाह इस मामले में बेहद अहम होगी.
– बच्चे में लक्षण पाए जाने पर उन्हें घर में ही आइसोलेट करें. पैरासीटामॉल और फ्लू की अन्य सामान्य दवाओं के डॉक्टर के परामर्श अनुसार प्रयोग करें.
स्वास्थ्य मंत्री दे रहे थे अजीब दलील
कोराना की तीसरी लहर में सबसे ज्यादा खतरा बच्चों पर है. सरकार भी इस बात की अच्छी तरह जानती है. बावजूद बच्चों में तेजी से फैल रहे संक्र्मण को लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री दलील देने में लगे हुए थे. उनका कहना था कि जो भी बच्चे संक्रमित पाए जा रहे हैं वे स्कूलों में नहीं बल्कि माता-पिता या दूसरे परिजनों से संक्रमित हुए हैं. हालांकि उन्होंने यह जरूर साफ किया था कि स्कूल को खोलने और बंद करने का फैसला सीएम शिवराज ही लेंगे. विपक्ष भी सरकार पर लगातार इस बात का दबाव बना रहा था. यही वजह रही है कि पहले सूर्यनमस्कार का कार्यक्रम रद्द किया, इसके बाद 26 जनवरी पर होने वाले ध्वजारोहण कार्यक्रम मेे भी छोटे बच्चों के शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. बावजूद इसके राजधानी भोपाल में भी बीते 48 घंटे में तीन स्कूलों के 100 से ज्यादा बच्चों के कोविड पॉजिटिव आने के बाद सरकार स्कूल बंद करने तैयार हुई है.
स्कूल बंद, ऑनलाइन होंगे प्री बोर्ड एग्जाम
स्कूली बच्चों में बढ़ रहे संक्रमण और कोरोना की तीसरी लहर की रफ्तार को थामने में पिछड़ रही प्रदेश सरकार ने आखिरकार 31 जनवरी तक स्कूलों को बंद करने का फैसला किया है. इसके साथ ही एग्जाम कराए जाने को लेकर भी कई फैसले लिए हैं. 20 जनवरी से होनेवाली प्री बोर्ड परीक्षा छात्र अब घर से देंगे. 15 जनवरी से प्रदेश के पहली से लेकर 12वीं तक के सरकारी और निजी स्कूल 31 जनवरी तक बंद रहेंगे. अभी फिलहाल रात 11:00 बजे से लेकर सुबह 5:00 बजे तक ही नाइट कर्फ्यू जारी रहेगा. इसके साथ ही यह भी साफ किया गया है कि संक्रमण की रफ्तार न थमने पर प्रतिबंधों का दायरा और भी बढ़ाया जाएगा. सीएम ने फिलहाल किसी भी तरह का लॉकडाउन लगाने की मनाही की है.
पिछले 11 दिनों में 17 सौ से ज्यादा बच्चे हुए संक्रमित
प्रदेश में पिछले 11 दिनों में 17 सौ से अधिक बच्चे कोरोना की चपेट में आए. जिसमें भोपाल में 274, इंदौर में 599, ग्वालियर में 171, जबलपुर में 99 बच्चे को पॉजिटिव मिले. जिसके विपक्ष के बाद मध्य प्रदेश पालक संघ ने भी सरकार से स्कूलों को बंद करने को और ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने को लेकर दबाव बनाया. पालक संघ का कहना था कि बच्चे स्कूल जाते हैं वहां सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर दूसरे कोविड प्रोटोकॉल फॉलो नहीं हो पाता है. जिससे सबसे ज्यादा बच्चे ही इंफेक्टेड होते हैं.