भिंड। जिला प्रशासन ने पूर्व में सभी शासकीय और अशासकीय स्कूलों को निर्देश जारी कर 15-18 वर्ष के छात्रों की जानकारी और उनको टीकाकरण के लिए सूचित किए जाने संबंधी आदेश दिया था. टीकाकरण अभियान को लेकर सरकार और प्रशासन कितना संजीदा है, इस बात का अंदाजा भिंड जिले में हुई कार्रवाई से लगाया जा सकता है. जहां टीकाकरण महाअभियान की समीक्षा के दौरान पाया गया कि ऊमरी स्थित सेंट्रल एकेडमी स्कूल ने टीकाकरण प्रोग्राम में सहयोग नहीं किया है. जिसके बाद स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई है.
कलेक्टर ने दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश
केंद्र और राज्य सरकारें कोविड-19 के खतरे को देखते हुए टीकाकरण अभियान पर विशेष फोकस कर रही हैं. तीसरी लहर के दौरान बच्चों पर कोरोना के प्रभाव रोकने के लिए तीन जनवरी से 15 से 18 वर्ष के बच्चों का टीकाकरण किया जा रहा है, इसका व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है. भिंड कलेक्टर सतीश कुमार एस को सूचना मिली कि सेंट्रल एकेडमी स्कूल के संचालकों ने टीकाकरण के लिए बच्चों को सूचित नहीं किया है, न ही अभियान में रुचि दिखाई और बच्चों को भी नहीं बुलाया था, जिसके परिणाम स्वरूप टीकाकरण उम्मीद के अनुरूप नहीं हो सका. इस लापरवाही पर सख्त कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी को स्कूल पर कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. पूरे प्रदेश में टीकाकरण में लापरवाही बरतने पर हुई पहली कार्रवाई है.
टीनएजर्स के टीकाकरण में लापरवाही बरतने पर स्कूल की मान्यता रद्द
लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी: DEO
जिला शिक्षा अधिकारी हरिभवन सिंह तोमर ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा का समय है, ऐसे में बच्चों पर कोविड के खतरे को देखते हुए टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन सेंट्रल एकेडमी स्कूल ने इसको लेकर घोर लापरवाही बरती है, उन्हें संकुल प्राचार्य से लेकर बीआरसी तक बराबर टीकाकरण के लिए कहते रहे, लेकिन 152 बच्चों के टीकाकरण में कोताही बरती गयी है, जो बर्दाश्त के बाहर है. इसलिए ये कठोर कार्रवाई की गयी है. भविष्य में भी यदि कोई ऐसी लापरवाही दोहराएगा तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
178 स्कूलों को बनाया गया टीकाकरण केंद्र
मध्यप्रदेश में 15 से 18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को वैक्सीन लगाने का काम बड़े पैमाने पर किया जा रहा है, चूंकि इस उम्र के बच्चे स्कूल या कॉलेज छात्र हैं, ऐसे में भिंड जिले में भी 178 शासकीय स्कूलों को टीकाकरण केंद्र बनाया गया है.