भोपाल. कृषि मंत्री सचिन यादव के भावांतर योजना को बंद करने के ट्वीट के बाद प्रदेश सरकार बचाव की मुद्रा में आ गई है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि भावांतर योजना बंद नहीं की जाएगी, इसकी समीक्षा कर गाइडलाइंस में बदलाव किया जाएगा। कृषि मंत्री सचिन यादव ने मंगलवार को सुबह एक वीडियो ट्वीट में कहा कि भावान्तर भुगतान योजना से किसानों को नुकसान हो रहा था। इसीलिए हम इसे बंद करने जा रहे है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा था कि योजना बंद हुई तो आंदोलन होगा। थोड़ी देर बाद कृषि मंत्री ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया और आधे घंटे बाद प्रदेश के कृषि विभाग ने भावांतर योजना बंद नहीं करने की जानकारी दी।
कृषि मंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा कि प्रदेश में तीन क की सरकार है, क से किसान, क से कांग्रेस और क से कमलनाथ। इस सरकार के केंद्र बिंदु में किसान हैं। कमलनाथ सरकार की भावांतर योजना को बंद करने की तैयारियों को लेकर सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर योजना बंद करने पर आंदोलन की चेतावनी दी थी, साथ ही ये भी कहा था कि किसानों के हित के लिए ये योजना शुरू की गई और इससे किसानों को काफी फायदा भी पहुंचा था। इस पर कृषि मंत्री सचिन यादव ने उन्हें जवाब देते हुए लिखा था कि भाजपा नेता किसानों को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं।
पूर्व सीएम शिवराज ने लिखा, “भावांतर योजना मेरे मुख्यमंत्री काल एवं भारतीय जनता पार्टी की सरकार की अत्यंत महत्वपूर्ण योजना रही है। मेरी सरकार ने निर्णय लिया था कि हमारे कृषक बंधुओं को सोयाबीन पर 500 रुपए प्रति क्विंटल एवं मक्का पर 500 रुपए प्रति क्विंटल फ्लैट रेट का भुगतान किया जाएगा। यह निर्णय लिया गया था कि गेहूं 2100 रुपए प्रति क्विंटल, धान 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर खरीदा जाएगा। तत्कालीन भाजपा सरकार ने उड़द पर भी प्रति क्विंटल फ्लैट रेट से भुगतान का निर्णय लिया था। भावांतर योजना को बंद करने का निर्णय है बताता है कि आप की सरकार प्रदेश के किसानों को सोयाबीन पर 500 प्रति क्विंटल और मक्का पर 1500 प्रति क्विंटल फ्लैट भावांतर योजना में भुगतान करने से बचना चाहती है। आप किसान बंधुओं को उड़द एवं मूंग पर भी फ्लैट रेट भुगतान करने से बचना चाहते हैं। गेहूं एवं धान की उपज भी क्रमश 2100 एवं 2500 प्रति क्विंटल खरीदने की मंशा आप की सरकार की नहीं।”
शिवराज ने कहा है कि मेरी सरकार के निर्णय के अनुरूप कृषकों को उनकी उपज का तत्काल भुगतान किया जाए, जिससे किसानों के हित का संरक्षण हो सके। उन्होंने कहा है कि भावांतर योजना को येन-केन प्रकारेण बंद करना त्रासद होगा। उन्होंने ये भी कहा कि ऐसी स्थिति में वे किसानों के हित के लिए सरकार के खिलाफ आंदोलन करने पर बाध्य हो जाएंगे।