आज भारतीय बिजनेस जगत के दो दिग्गजों का जन्मदिन है। ये दो बड़ी हस्तियां रतन टाटा और धीरूभाई अंबानी। आज यदि धीरूभाई अंबानी जीवित होते तो 89 साल के होते, मगर 19 साल पहले 2002 में उनका देहांत हो गया। वहीं रतन टाटा आज 84 साल के हो गए हैं। रतन टाटा और धीरूभाई अंबानी दोनों ही पद्म विभूषण से सम्मानित हैं और देश के ऐसे कारोबारी रहे हैं, जो करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा भी हैं।
धीरजलाल हीराचंद अंबानी धीरजलाल हीराचंद अंबानी, जिन्हें धीरूभाई अंबानी के नाम से जाना जाता है, भारतीय बिजनेस टाइकून थे, जिन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की। अंबानी ने 1977 में रिलायंस को सार्वजनिक किया। 2002 में उनकी मृत्यु के समय कंपनी की वैल्यू 2.9 अरब अमेरिकी डॉलर थी। 2016 में उन्हें मरणोपरांत बिजनेस और इंडस्ट्री में उनके योगदान के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
शुरू की। 1958 में, धीरूभाई अंबानी ने लदन छोड़ दिया और भारत वापस आ गए। फिर भारतीय कपड़ा बाजार में हाथ आजमाए।
रिस्क लेने का था शौक भारत में वापस आने के बाद धीरूभाई ने चंपकलाल दमानी के साथ साझेदारी में “माजिन” शुरू किया। धीरूभाई को जोखिम लेने वाला कहा जाता था। माजिन से अलग होने के बाद, धीरूभाई ने रिलायंस कमर्शियल कोऑपरेशन शुरू की। धीरूभाई ने इस दौरान अपना ब्रांड ‘विमल’ भी लॉन्च किया। धीरूभाई को जिन्होंने औसत निवेशक को शेयर बाजार से जोड़ने वाला भी कहा जाता था।
बेटों में हुई अनबन धीरूभाई के चार बच्चे थे, मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी, दो बेटियां नीना कोठारी और दीप्ति सालगांवकर। धीरूभाई ने 1986 में रिलायंस इंडस्ट्रीज का नियंत्रण मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी को सौंप दिया। हालांकि, मुकेश और अनिल अंबानी के बीच स्वामित्व को लेकर मतभेद थे और ये मतभेद बहुत जल्द आम लोगों के सामने आ गए। 2002 में धीरूभाई अंबानी की मृत्यु के कुछ समय बाद, रिलायंस समूह का विभाजन हो गया। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड मुकेश अंबानी को मिली, जबकि रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह अनिल अंबानी को मिला।
रतन टाटा जी कि बात करें तो रतन टाटा के करियर की तो उन्होंने 1962 में टाटा स्टील डिवीजन के साथ अपना करियर शुरू किया और नौ साल बाद उन्हें नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड के निदेशक प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया। 1977 में, उन्हें टाटा ग्रुप के भीतर एक संघर्षरत कपड़ा मिल, एम्प्रेस मिल्स में ट्रांसफर कर दिया गया। मिल को बंद कर दिया गया क्योंकि रतन टाटा की योजना को टाटा के अन्य अधिकारियों ने अस्वीकार कर दिया था। 1991 में, जेआरडी टाटा ने टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में पद छोड़ दिया, और रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी बनाया।
ऑग्रेनाइजेशन का किया विस्तार रतन टाटा ने ऑग्रेनाइजेशन का विस्तार किया और टाटा नैनो और टाटा इंडिका कारें तैयार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद अपने 75वें जन्मदिन (28 दिसंबर, 2012) पर, उन्होंने टाटा समूह के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया और शापूरजी पल्लोनजी समूह के प्रबंध निदेशक साइरस मिस्त्री द्वारा सफल हुए। रतन टाटा की 21 साल की अध्यक्षता के दौरान, ग्रुप क इनकम में 40 गुना से अधिक की वृद्धि हुई, और इस दौरान प्रोफिट 50 गुना से अधिक बढ़ा।
दोबारा संभाली कमान 24 अक्टूबर 2016 को साइरस मिस्त्री को टाटा संस के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया और रतन टाटा को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया। 12 जनवरी, 2017 को, नटराजन चंद्रशेखरन को टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में अपॉइंट किया गया। मगर रिटायरमेंट के बाद भी, रतन टाटा एक सक्रिय बिजनेसमैन हैं और प्रोमिसिंग बिजनेस वेंचर्स में निवेश करते हैं।
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